गढ़वाळ का, ढुंगौं मा बैठि,
मन खुश होन्दु छ भारी,
मुल्क छुटिगी, पोटगि का बाना,
होयिं छ भारी लाचारी....
...
मन खुश होन्दु छ भारी,
मुल्क छुटिगी, पोटगि का बाना,
होयिं छ भारी लाचारी....
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-कवि जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु" की अनुभूति
01.10.2014, दूरभाष: 09654972366
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