“तू ठगणी कू ठग, अर मैं जाति कू ठग”
अपणा पहाड़ मां,
द्वी महाठग रन्दा था,
जौंकु आपस मां,
धरमचारू थौ.
एक दिन,
एक ठग दूसरा ठग का यख गै,
अर एक लोठ्या घरया घ्यू ल्हिगि,
पर टोख्न्णी फर वैन मोळ भरि,
अर ऐंच मां घ्यू.
ठग कू दग्ड़्या भौत खुश ह्वै,
लोठ्या भरि घरया घ्यू देखिक,
पर वैन सोचि, मैनत दग्ड़्या ठ्गौण छ,
किलैकि मैं जाति कू ठग छौं.
ठग का दग्ड़्यान,
वापिस औन्दि वक्त,
ठग सनै दिनि,
खिन्ना की तलवार,
जब ऊ घौर पौंछि,
त वैन देखि,
तलवार असली छ या नकली,
वैन जनि तलवार की परीक्षा लिनि,
तलवार टुटिगि,
तब्बित प्रसिद्ध छ यू औखाणु.
(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा “जिग्यांसु”
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
निवास:संगम विहार,नई दिल्ली
(18.3.2009 को रचित)
दूरभाष: ९८६८७९५१८७
अपणा पहाड़ मां,
द्वी महाठग रन्दा था,
जौंकु आपस मां,
धरमचारू थौ.
एक दिन,
एक ठग दूसरा ठग का यख गै,
अर एक लोठ्या घरया घ्यू ल्हिगि,
पर टोख्न्णी फर वैन मोळ भरि,
अर ऐंच मां घ्यू.
ठग कू दग्ड़्या भौत खुश ह्वै,
लोठ्या भरि घरया घ्यू देखिक,
पर वैन सोचि, मैनत दग्ड़्या ठ्गौण छ,
किलैकि मैं जाति कू ठग छौं.
ठग का दग्ड़्यान,
वापिस औन्दि वक्त,
ठग सनै दिनि,
खिन्ना की तलवार,
जब ऊ घौर पौंछि,
त वैन देखि,
तलवार असली छ या नकली,
वैन जनि तलवार की परीक्षा लिनि,
तलवार टुटिगि,
तब्बित प्रसिद्ध छ यू औखाणु.
(सर्वाधिकार सुरक्षित,उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि की अनुमति लेना वांछनीय है)
जगमोहन सिंह जयाड़ा “जिग्यांसु”
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
निवास:संगम विहार,नई दिल्ली
(18.3.2009 को रचित)
दूरभाष: ९८६८७९५१८७
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