“गरीबी”
एक वर्ग की पहचान है,
जिसे धनाढ्य वर्ग,
अपने लिए प्रयोग करता है,
लेकिन, आगे नहीं बढ़ने देता,
अपना वजूद कायम रखने के लिए.
जिसे धनाढ्य वर्ग,
अपने लिए प्रयोग करता है,
लेकिन, आगे नहीं बढ़ने देता,
अपना वजूद कायम रखने के लिए.
गरीबों की गरीबी को,
बेचा जाता है,
अमीर बनने के लिए,
और गरीब गरीब रहता है,
अपना अस्तित्व,
बचाने की जंग में.
बेचा जाता है,
अमीर बनने के लिए,
और गरीब गरीब रहता है,
अपना अस्तित्व,
बचाने की जंग में.
गरीब को कल्पना में,
करोड़पति बनाने का नाटक,
दिखाया जाता है,
करोड़ों कमाने के लिए,
साथ में सम्मान भी,
परन्तु, गरीब को नहीं पता,
उसकी गरीबी बेची जा रही है.
करोड़पति बनाने का नाटक,
दिखाया जाता है,
करोड़ों कमाने के लिए,
साथ में सम्मान भी,
परन्तु, गरीब को नहीं पता,
उसकी गरीबी बेची जा रही है.
रचनाकार:
जगमोहन सिंह जयाड़ा, जिग्यांसु
27.1.2009
जगमोहन सिंह जयाड़ा, जिग्यांसु
27.1.2009
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