Wednesday, February 24, 2016

“देहरादून-मसूरी ”

“देहरादून-मसूरी ”
मन ही मन मुस्कराती मसूरी,
जो पहाड़ों की रानी है,
दूर से देखता देहरादून,
कहता तू रूप की रानी है.
पास पास हैं लेकिन फ़िर भी,
आपस में नहीं मिल पाते,
देखते हैं एक दूजे को,
सिर्फ़ नयन हैं मिल जाते.
सच्चा प्यार है दोनों में,
मिल नहीं सकते मजबूरी,
चाहत दोनों के मन में है,
इच्छा कैसे हो पूरी.
देहरादून का दिल दिवाना,
मनचली है तू मसूरी,
कहता है कवि “जिग्यांसू”
इच्छा इनकी हो पूरी.
रचनाकार:
जगमोहन सिंह जयाड़ा, जिग्यांसु
२९.१२.२००८ 

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