गौरा देवी.......
उत्तराखंड, जिल्ला चमोली,
रैणी है एक गांव,
“चिपको” का यहाँ जन्म हुआ,
धन्य है यह गांव.
रैणी है एक गांव,
“चिपको” का यहाँ जन्म हुआ,
धन्य है यह गांव.
माह जनवरी १९७४ की,
है ये बात,
साइमन कंपनी से २,४५१ पेड़ों को,
कटवा रहा था जंगलात.
है ये बात,
साइमन कंपनी से २,४५१ पेड़ों को,
कटवा रहा था जंगलात.
रैणी महिला मंगलदल अध्यक्षा,
स्व॰ गौरा देवी ने,
साथियों के साथ मिलकर,
वृक्षों से चिपक कर,
यहाँ के जंगल को बचाया,
नहीं कटेगा वन हमारा,
“ये हमारे मायका हैं”,
वन ठेकेदार को भगाया.
स्व॰ गौरा देवी ने,
साथियों के साथ मिलकर,
वृक्षों से चिपक कर,
यहाँ के जंगल को बचाया,
नहीं कटेगा वन हमारा,
“ये हमारे मायका हैं”,
वन ठेकेदार को भगाया.
वो जानती थी, तभी तो,
वृक्षों को बचाया,
प्रकृति का करो सरंक्षण,
“चिपको आन्दोलन” के�माध्यम से,
दुनियां को बताया.
वृक्षों को बचाया,
प्रकृति का करो सरंक्षण,
“चिपको आन्दोलन” के�माध्यम से,
दुनियां को बताया.
कर्मठ हिमालय की बेटी,
स्वर्ग में हैं आज,
प्रकृति तथा पर्यावरण सरंक्षण करके,
कैसा कर गई काज.
स्वर्ग में हैं आज,
प्रकृति तथा पर्यावरण सरंक्षण करके,
कैसा कर गई काज.
जगमोहन सिंह जायाड़ा, जिग्यांसु
१९.१२.२००८ को रचित
१९.१२.२००८ को रचित
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