“चतुर कुत्ता”
एक दिन एक कुत्ता जंगल में,
रास्ता भटक गया,
शेर को अपनी ओर आते देख,
डर के कारण अटक गया.
रास्ता भटक गया,
शेर को अपनी ओर आते देख,
डर के कारण अटक गया.
शेर की ओर पीठ करके,
सूखी हड्डियाँ चूसने लगा,
शेर को खाने का मजा,
कुछ और ही है,
चाल चलते हए कहने लगा.
सूखी हड्डियाँ चूसने लगा,
शेर को खाने का मजा,
कुछ और ही है,
चाल चलते हए कहने लगा.
आज तो एक दावत,
और हो जायेगी,
कुत्ता जोर से डकारा,
शेर ने समझा,
कुत्ता शेर भक्षी है,
भागा, डर का मारा.
और हो जायेगी,
कुत्ता जोर से डकारा,
शेर ने समझा,
कुत्ता शेर भक्षी है,
भागा, डर का मारा.
पेड़ पर बैठे बन्दर ने,
जब यह सब कुछ देखा,
सोचा, शेर से सारा सच कहूँगा,
साथ ही हो जायेगी दोस्ती,
शेर से सुरक्षित रहूँगा.
जब यह सब कुछ देखा,
सोचा, शेर से सारा सच कहूँगा,
साथ ही हो जायेगी दोस्ती,
शेर से सुरक्षित रहूँगा.
बन्दर ने शेर को,
कुत्ते की हकीक़त बताई,
तब जोर से दहाड़ा शेर,
बोला, बैठ मेरी पीठ पर भाई.
कुत्ते की हकीक़त बताई,
तब जोर से दहाड़ा शेर,
बोला, बैठ मेरी पीठ पर भाई.
शेर को अपनी ओर आता देख,
कुत्ता उसकी ओर,
पीठ करके कहने लगा,
बन्दर को भेजे एक घंटा हो गया,
साला एक शेर फ़ांस कर नहीं ला सका,
न जाने कहाँ सो गया.
कुत्ता उसकी ओर,
पीठ करके कहने लगा,
बन्दर को भेजे एक घंटा हो गया,
साला एक शेर फ़ांस कर नहीं ला सका,
न जाने कहाँ सो गया.
शेर ने जब सुना तो,
गुस्से में बन्दर को,
नीचे गिराकर मार डाला,
चतुर कुत्ता कितना चालाक,
जान बचाकर भाग गया,
और बन्दर को मरवा डाला.
गुस्से में बन्दर को,
नीचे गिराकर मार डाला,
चतुर कुत्ता कितना चालाक,
जान बचाकर भाग गया,
और बन्दर को मरवा डाला.
रचनाकार:
जगमोहन सिंह जयाड़ा, जिग्यांसु
14.1.2009
14.1.2009
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