उत्तराखण्ड कू
होयुं चैन्दु थौ,
गौं, खेत अर खल्याण
कू विकास,
सब्बि उत्तराखण्डी
भै बंधु की,
राज्य प्राप्ति मा
ज्व थै आस।
उत्तराखण्ड बण्न
का बाद,
पलायन होणु छ
लगातार,
मैदान मा खूब चैल पैल,
पहाड़ फर पलायन की
मार।
प्राकृतिक संसाधन
भौत छन,
जौंसी मिलि सक्दु
रोजगार,
धरातल फर कुछ नि
दिखेणु,
क्या होलि कन्नि
सरकार।
दर्द भौत छ मन मा
हमारा,
किलै बंजेणा छन गौं
अर सार,
तेरा भाग मा हे उत्तराखण्ड,
यनु हि लिख्युं रै
होलु हपार।
उत्तराखण्ड छोड़िक
चलिग्यन,
मनखि बल बत्तीस
लाख,
कनुकै होण खाणी
बाणी,
हे सब कुछ ह्वैगि
खाक।
मन की चाह बोला,
या स्टेट एजेंडा की
आस,
पहाड़ मा मनखि रुक्वन,
हो सम्पूर्ण सतत
विकास।
जग्वाळ छ वे दिन
की,
जब स्टेज एजेंडा हो
लागू,
पहाड़ सी क्वी
मनखि,
रोजगार का खातिर न
भागु।
स्टेट ऐजेंडा पत्रिका का खातिर रचित।
-जगमोहन सिंह जयाड़ा
‘जिज्ञासु’
ग्राम- बागी नौसा,
पट्टी-चंद्रवदनी,
टिहरी गढ़वाळ, उत्तराखण्ड।
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