“उत्तराखंडी ढाबा”
सड़क किनारा देखि मैंन,
एक उत्तराखंडी ढाबा,
खाणौ खाणु वख मू बैठि,
एक विदेशी बाबा।
बोन्न लग्युं वू क्या मिलेगी,
कोदे की करारी रोट्टी,
देशी घी साथ में देना,
खूब बनाना मोटी।
ढाबा मालिक धन सिंह बोडान,
वे बाबा कु बोली,
अपने पहाड़ का शुद्ध घी है,
झट्ट पट डब्बा खोली।
बहुत ताकतवर होता है,
उत्तराखंड का कोदा,
तभी तो होता है,
उत्तराखंडी योद्धा।
वुड यु लाइक सर,
झंगोरा और झोळी,
एस प्लीज टेस्ट मी,
विदेशी बाबान बोली।
बड़ा प्रेम सी बाबान,
झंगोरू झोळी खाई,
हाव मच टेस्ट फुल,
वेन यनु बताई।
कल्पना मा देख्णु छौं मैं,
धन सिंह बोडा कू ढाबा,
कनु भग्यान वख मू बैठ्युं,
एक विदेशी बाबा।
जगमोहन सिंह जयाड़ा, जिज्ञाासू
१७.७.२००८ को रचित
सड़क किनारा देखि मैंन,
एक उत्तराखंडी ढाबा,
खाणौ खाणु वख मू बैठि,
एक विदेशी बाबा।
बोन्न लग्युं वू क्या मिलेगी,
कोदे की करारी रोट्टी,
देशी घी साथ में देना,
खूब बनाना मोटी।
ढाबा मालिक धन सिंह बोडान,
वे बाबा कु बोली,
अपने पहाड़ का शुद्ध घी है,
झट्ट पट डब्बा खोली।
बहुत ताकतवर होता है,
उत्तराखंड का कोदा,
तभी तो होता है,
उत्तराखंडी योद्धा।
वुड यु लाइक सर,
झंगोरा और झोळी,
एस प्लीज टेस्ट मी,
विदेशी बाबान बोली।
बड़ा प्रेम सी बाबान,
झंगोरू झोळी खाई,
हाव मच टेस्ट फुल,
वेन यनु बताई।
कल्पना मा देख्णु छौं मैं,
धन सिंह बोडा कू ढाबा,
कनु भग्यान वख मू बैठ्युं,
एक विदेशी बाबा।
जगमोहन सिंह जयाड़ा, जिज्ञाासू
१७.७.२००८ को रचित
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