Monday, January 4, 2016

मर्द छौं मैं.......

घन्‍ना भैं का दगड़यान,
घन्‍ना भै भकलाई,
बौजी कू गुलाम छैं तू,
कन्‍दुड़ फर सरक बताई....

यनु सुणिक घन्‍ना भै बबलाई,
दगड़्या तैं वेन तड़ी सी बताई,
हे मर्द कू बच्‍चा छौं मैं,
त्‍वैन मैकु अहसास कराई.....

तेरी बौ का सौं छन मैकु,
वीं सी कतै नि डरलु,
गुलाम बणैक रख्‍लु वीं तैं,
अपणा मन की करलु....

दगड़्या का सामणि वेन,
बौजी फर तड़ी जमाई,
चा बणौ तू झटपट हम्‍कु,
तेरा समझ मा नि आई.....

किल्‍क बौजी घन्‍ना भै फर,
झटपट झाड़ू ऊठाई,
किलै बणौलु चा मैं तुम्‍कु,
बिंगण मा नि आई.....

गिरगिट बणिगी घन्‍ना भै,
दगड़्या कू वेन बताई,
मर्द ह्वैक मैं मर्द निछौं,
क्‍या तेरी समझ मा आई.....

दिनांक 3.1.2016

मलेेथा की कूल