Friday, July 14, 2017

म्येरी जिन्दगी.....



जैंकी दुन्यां मा भारी हाम ह्वे,
जब कैका बाना मैं गम मा डूब्यौं,
दर्द्याळि ह्वे जिन्दगी म्येरी,
बग्त का हात मैं मजबूर ह्वयौं.....

अपणु बणौणु जै तैं चाही,
सबसि पैलि ऊ हि मैसी दूर ह्वेन,
बिछड़्यन जू दगड़्या जिन्दगी मा,
दुबारा ऊंका दर्शन नि ह्वेन......

चन्न लगिं जिन्दगी म्येरी,
मन अपणु बुथ्यौणु छौं,
गेड़ दु:ख दर्द की समाळि,
जिन्दगी का बाटा हिटणु छौं.....

जथ्गा चाही जिन्दगी मा,
वे सी ज्यादा द्येणु भगवान,
अहसास म्येरी जिन्दगी कू,
दूर मैसी छ अभिमान......

हेर फेर जिन्दगी मा,
सदानि मैसी दूर हि रैन,
जाणी बूझि जिन्दगी मा,
गोरु कैका नि फरकैन....

चल्दु रा तू जिन्दगी म्येरी,
अग्वाड़ि भ्येळ पाखा भी आला,
दगड़्यौं कू भौत प्यार पाई,
मन मा सदानि बस्यां रला.....

जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
दिनांक 14/7/2017

Wednesday, July 12, 2017

पाड़ छुटिगि हे! राम....



बाळापन की याद औन्दि,
ज्युकड़ि ऊदास ह्वोन्दि,
भै बंधु मा तबरि थौ,
आपस मा प्यार,
खद्दर कू कुर्ता पैर्दा,
नाड़ादार सुलार,
तन बदन मा सबळांदा था,
जूं लगातार....

नांगा खुट्टौं बाट्टा हिटदा,
ऊकाळि उद्यार,
ह्युंद का मैंना ठेणी लग्दि,
लग्दु चचगार.....

क्वोदा की करकरी रोठ्ठी मा,
खान्दा कंकर्याळु घ्यू,
सब पक्वान घळताण्यां,
खुश ह्वोन्दु थौ ज्यू....

बेडू, तिम्ला, खैणा खैन,
गेंठी, बेबर, बांसू,
काखड़ी, मुंगरी खूब खैन,
मस्त कवि जिज्ञासू.....

हौळ लगै पुंगड़्यौं मा,
करि धाण काज,
याद औन्दि आज भारी,
ह्वेगि म्वोळ माटु आज....

मन मा बस्यां ऊ दिन,
पाड़ छुटिगि हे! राम,
सैर की जिंदगी दु:खदाई,
सब कुछ लगिगि घाम.....


-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू”,

दिनांक 12/7/17

क्या ह्वोलु पाड़ कू?



जौन क्वोदु झंगोरु खाई,
पुंगड़्यौं मा हौळ लगाई,
ल्हेन घास का गडोळा,
स्कूल मा पढ़ण गैन,
कांधि मा बोक्यन झोळा,
बंठौं फर पाणी सारी,
जिंदगी थै भौत प्यारी,
पढ़ै लिखै पूरी करि,  
एक दिन यनु आई,
खाण कमौण परदेस गैन,
पाड़ जुग्ता तब नि रैन....

असौंगि जिन्दगी पाड़ की,
माछा की तरौं छूटि,
रमिग्यन परदेस मा,
पाड़ सी रिस्ता टूटि,
आज तौंका प्यारा गौं,
बंजेग्यन तुमारा सौं,
अब क्या ह्वोलु पाड़ कू?
हाल द्येखि पाड़ का,
आंखौं मा आंसू औन्दा,
बित्यां दिन पाड़ मा,
आंखौ मा अंसदारी ल्हौन्दा....

पाड़ जुगराजि रै,
क्वी न क्वी त्वेमुं आला,
उत्तराखण्ड की धर्ति मा,
चार चांद भी लगाला,
क्वी त पोंज्लु त्येरा आंसू,
जौंन प्यारु पाड़ त्यागि,
रोला अर पछताला,
पाड़ त्वेसि प्यार छ,
मन मा भाव ऐ जान्दु,
क्या ह्वोलु पाड़ कू?  

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
13/7/2017

मलेेथा की कूल