Friday, August 18, 2017

गौं अर गंवाड़्या....



पंखुड़ी फैली फूल खिल्दु,
सबका मन कू प्यारु,
गौं का मनखि भला लग्दा,
बिगळेक ह्वे जान्दा न्यारु......

जन फूल की पंखुड़ी फैलिक,
फिर एक नि ह्वोन्दि,
बिग्ळ्यां गौं का मनखौं की,
गति या हि बतौन्दि.....

ह्वोणि खाणी का खातिर,
हम जख भी रन्दा छौं,
संस्कृति अपणि भलि लग्दि,
मन मा बस्दु प्यारु गौं....

गौं मुल्क प्यारु लग्दु,
ह्वे सकु त आवा जावा,
कै भी बाना अयुं चैन्दु,
गौं तैं पीठ न लगावा.....

गौं मा जब जब ह्वोन्दु छ,
जब क्वी शुभ काज,
मौका मिल्दु मिन्न कू,
कठ्ठा ह्वोन्दु समाज......

दिशा ध्याणि भी मैत औन्दि,
ऊंका मन मा रन्दु ऊलार,
गौं मा कौथिग सी लगि जान्दु,
ह्वे जान्दु खुशी कू त्यौहार.....

राजि रौला सब्बि गंवाड़्या,
अपड़ा गौं औला जौला,
पुराणौं की सुंदर संस्कृति,
मन सी अग्नै बढ़ौला......
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू”, 18/7/2017, नौसा बागी, चंद्रवदनी, टिहरी गढ़वाळ। प्रवास: नई दिल्ली

बसगाळ....



उत्तराखण्डै डांडी कांठ्यौं मा,
जब छै जान्दु बसगाळ,
मन कू मोर नाचि नाचिक,
खुशी ह्वेक मारदु फाळ.....

हरी भरी ह्वे जान्दिन,
कोदाड़ि सटेड़ी सार,
बौळ्या बणि रिटदि कुयेड़ि,
क्या खोज्दि हपार.....

सूखी धर्ति हरी ह्वे जान्दि,
जब बसगाळ्या बरखा बरखदि,
गौं की बेटी ब्वारि सब्बि,
पुंगड़्यौं मा धाण करदि.....

चौक मा चचेन्डी लग्दि,
काखड़्यौं की लबद्यारि,
ज्यु भरिक खान्दी छन,
गौं की बेटी ब्वारि.....

अतर गाड गदन्यौं मा,
होन्दु पाणी कू छछड़ाट,
डांड्यौं मा गाज्दु छ,
गदन्यौं कू सुंस्याट.....

घाटा बाटा बंद ह्वे जान्दा,
लगि जान्दु काळु बसगाळ,
आफत भी ऐ जान्दि,
हमारा प्यारा गढ़वाळ.......

होणि खाणी जब ह्वे जान्दि,
दूर ह्वे जान्दा सब जंजाळ,
अहसास करदन मनखि,
जिन्दगी मा ऐगि बसगाळ......

बिना बसगाळ कू,
कबरि पड़ि जान्दु अकाळ,
हमारा मुल्क पाड़ मा,
खुशहाली ल्हौन्दु बसगाळ....... 28/7/2017

क्या पाई?



उत्तराखण्ड मा छन,
सोळा हजार सात सौ,
तिराणनब्बि गौं,
ढ़ै लाख सी ज्यादा कूड़ौं फर,
लगिग्यन बल ताळा,
घर का गोसी अब,
निछन लौटण वाळा......

तीन हजार सी ज्यादा गौं,
ह्वेग्यन बल खाली,
अब ऊं गौं मा क्या,
रौनक बौड़िक आलि.....

सवाल छ,
उत्तराखण किलै बणाई?
पलायन की दिन दिन,
पण्नि छ मार,
पाड़ का बिकास का खातिर,
क्या होलि कन्नि
हमारी बणैयीं सरकार.....

चिंतन की बात छ,
पाड़ का बिकास का खातिर,
कैन कन्न पैल,
पाड़ होयुं छ घैल,
अपणु राज्य बणैक,
जंतान क्या पाई,
पाड़ी राज्य बण्न सी,
खुशहाली किलै नि आई.........

1/8/2017

मलेेथा की कूल