Tuesday, February 2, 2021

दूरदर्शन, उत्तराखण्ड केन्द्र, देहरादून भ्रमण

 


दूरदर्शन, उत्तराखण्ड

 

28 दिसम्बर, 2020 को मैं दख्याटगांव, उत्तरकाशी भ्रमण से पबेला अपने भाई दर्मियान सिंह जयाड़ा के आवास पर लौटा।  यादगार भ्रमण था मेरा ये।  29 दिसम्बर, 2020 को मैं अपने पुरखों की तिबारी के पास पहुंचा।  तिबारी को देखकर मेरे कविमन में एक विचार आया, क्यों न इस तिबारी के पास अपनी एक गढ़वाळि कविता की रिकार्डिंग करवा लूं।  मेरी गढ़वाली कविता बुढ़ड़िके लिए यह उचित स्थान था। सोच रहा था तिबारी में कुछ महिलाएं बैठी हों और कविता रिकार्ड की जाए तो इससे सुंदर जगह कहीं हो नहीं सकती।  गांव में पलायन के कारण आदमी अब कम ही हैं, इसलिए ये मेरा सपना पूरा न हो सका।

 

         मैंने भुला कलम सिंह जयाड़ा जो एक शिक्षक भी हैं उन्हें बुलाया।  भुला ने खुशी खुशी मेरी कविता रिकार्ड करने के लिए अपनी सहमति प्रदान की।  तिबारी के आगे चौक में बैठकर कविता रिकार्ड हुई।  30 दिसम्बर, 2020 को मैं दिल्ली लौटा और रिकार्ड की हुई कविता फेसबुक पर पोस्ट की।  दूरदर्शन उत्तराखण्ड ने मेरी पोस्ट पर लिखा, जयाड़ा जी आप अपना पता और संपर्क नंबर दीजिए।  मैंने तुरंत अपना पता और मोबाईल नंबर लिखा।  कुछ दिन बाद मेरे मोबाईल पर ह्वटसअप पर गढ़वाली कवि गोष्ठी नाम से एक संदेश आया।  मैंने उसमें पढ़ा 8 जनवरी, 2020 12 बजे दिन में कवि सम्मेलन की रिकार्डिंग होगी और प्रसारण रात आठ बजे। मेरा सौभाग्य था मुझे दूरदर्शन उत्तराखण्ड ने कविता पाठ के लिए आमंत्रित किया।  मैं हृदय से दूरदर्शन उत्तराखण्ड का आभारी हूं।

 

         7 जनवरी, 2020 को रात 11 बजे मैंने दोनों पुत्र चंद्रमोहन एवं मनमोहन सिंह, दोनों बहुओं और नाति शैलेश सिंह व नातणि नव्या, दिव्या और सौम्या सहित अपनी गाड़ी से देहरादून के लिए प्रस्थान किया।  मनमोहन गाड़ी चला रहा था, अगली शीट पर मुझे नींद नहीं आती और सोना भी नहीं चाहिए।   सुबह पांच बजे हम बाला वाला अपने छोटे समधि जी के आवास पर पहुंचे।  सुबह मैं सो गया और दस बजे जागकर नहा धोकर मैंने नाश्ता किया।  आठ जनवरी, 2020 को 11 बजे मैं दूरदर्शन उत्तराखण्ड स्टूडियो रिस्पना बाई पास के पास पहुंचा ।  श्री शिव सिंह रावत जी के कमरे में कविमित्र अश्वनी गौड़ जी बैठे हुए थे।  साहित्यकार धनेश कोठारी, श्री हेमवती नंदन भटट, हरेंद्र नेगी, हिमाशुं पसबोला जी से भेंट हुई। 

 

         सबसे पहले सज्जा कक्ष में सभी का श्रृंगार हुआ और उसके बाद हम स्टूडियो में पहुंचे।   तकनीशियन रिकार्डिंग के लिए छायाकंन यंत्र इत्यादि को स्थापित कर रहे थे।  मंच संचलान के लिए कोठारी जी मुझे कह रहे थे, मैंन उन्हें कहा ये कार्य आप ही कीजिए।  कोठारी जी ने सभी का परिचय प्रस्तुत किया और क्रमानुसार कविता पाठ हुआ।  लगभग चार बजे ये कार्यक्रम समाप्त हुआ और सभी ने प्रस्थान किया।  ये यादगार कवि गोष्ठी थी और दूरदर्शन पर पहला अनुभव। 

 

         सांय को मैं समधि जी के घर पहुंचा।  दोनों पुत्रों को अगल दिन सुबह सुरकण्डा मंदिर जाना था।  9 जनवरी, सुबह मैं उठकर तैयार हुआ।  कविमित्र बृजपाल सिंह रावत जो चौथान पौड़ी गढ़वाल से हैं उनको मुझे फोन आया।  मैंने उन्हें अपनी लोकेशन भेजी।  कविमित्र मेरे पास पहुंचे और हमारी पहली मुलाकात हुई।  मैंन रावत जी को कहा, चलो कहीं गाड के किनारे चलते हैं, वहीं बैठकर खूब संवाद करेगें।  मैं और रावत जी रायपुर की तरफ जगह की तलाश में चलने लगे।  मालदेवता की तरफ कुछ दूरी तय करने के बाद हम सहस्रधारा की तरफ गए।  सहस्रधारा से आती हुई गाड सूखी हुई थी।  बहुत दूर हमें गाड में पानी दिखा और हम वहां पहुंच गए।  पत्थरों पर बैठकर हमनें खूब संवाद किया।  मुझे मेरे एक मित्र श्री अनिल रावत जी का फोन आया आप मेरे कार्यालय में आ जाओ।  रावत जी का गांव लैंसडाऊन जाख तल्ला है। 

 

         लगभग तीन बजे दिन का समय हो चुका था।  बृजपाल रावत और मैं मोटर साईकिल में बैठकर मसूरी बाई पास की तरफ गए।  जोगीवाला के पास ही रावत जी का कार्यालय था।  पहले हम उनकी दुकान पर पहुंचे जहां उत्तराखण्ड के जैविक उत्पाद मिलते है।  बृजपाल जी को मैंने कहा जब पहाड़ की चीज खाने का मन करे तो यहां से ले लेना।   मोटर साईकिल पार्क करके हम अनिल रावत जी के पास पहुंचे।  रावत जी से कार्यालय में भेंट हुई।  दस दौरान श्री रघुबीर सिंह बिष्ट जी से भी मुलाकात हुई। उनके कार्यालय में प्राऊड पहाड़ी सोसाईटी के पदाधिकारी बैठे हुए थे जिन्होंने मुझे बिष्ट की की सलाह पर अपने वार्षिक घुघति समारोह में 10 जनवरी को आने का निमंत्रण दिया।   चाय पीने के बाद रावत जी ने अपनी हारमोनियम निकाली और बीरु भड़ु कु देस बावन गढ़ु कु देसगीत गाने लगे।  संगीत सभा का हम आनंद ले रहे थे।  जब जब मैं देहरादून जाता हूं जरुर रावत जी से मुलकात करके संस्कृति और संगीत का आनंद लेता हूं।  रावत जी ने बताया मैंने लाकडाऊन के दौरान हारमोनियम बजाने का अल्प ज्ञान ले लिया है।  रावत जी के कार्यालय में ढ़ोल, दमाऊं, बांसुरी रखी हुई हैं।  अहसास होता है हमारे बाद्य यंत्र कितने सुरील और सम्मानित हैं आज भी।  मैं पहाड़ और संस्कृति प्रेमी लोगों से मिलना अपना सौभाग्य समझता हूं।

 

         उठने का मन नहीं कर रहा था।  भोजन का दौर चला और सभी ने भोजन के बाद प्रस्थान किया।  मुझे भगवान का आशीर्वाद है, मैं उनकी कृपा से अपने चाहने वालों से मिल पाता हूं और उनको प्यार प्रेम पाता हूं।  जीवन यात्रा अनंत होती है।   इस दौरान हम ज्ञानी और सम्मानित लोगों से मिलते हैं और अपने को धन्य समझते हैं।

 

         दस जनवरी, 2021 को सुबह उठकर मैंने स्नान करके नाश्ता किया और धर्मपुर के लिए प्रस्थान किया।  मैं सपरिवार अपने साले श्री बिशन सिंह बागड़ी जी के आवास पर पहुंचा।  भोजन करने के बाद सपरिवार मैंने समारोह स्थल यमुना कालोनी के लिए प्रस्थान किया।  परिजन कुछ समय रुकने के बाद चले गए और मैं शाम तक समारोह में रहा।  मुझे प्राऊड पहाड़ी सोसाईटी के पदाधिकारियों ने स्मृति स्वरुप एक प्रस्तति पत्र प्रदान करके सम्मानित किया।  पदाधिकारी सभी नौजवान थे।  उनकी प्रस्तुति देखकर अहसास हुआ, हमारी अगली पीढ़ी अपनी संस्कृति और विरासत के प्रति समर्पित भाव से समर्पित है।  कार्यक्रम जारी था, ठंड काफी हो चुकी थी, श्री रघुबीर सिंह बिष्ट जी, श्री अनिल रावत और मैंने जोगीवाला के लिए प्रस्थान किया। 

 

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू 

02/02/2021    

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