Tuesday, May 2, 2017

बौड़ नि सक्दा पाड़ हम....




कबिता ल्येखि पाड़ का,
गुण गान्दु छौं,
याद औन्दि पाड़ की,
वे पाड़ जान्दु छौं.....

ब्वे बाबु की आस थै,
परद्येस जावा तुम,
ह्वोणि खाणि का खातिर,
रुप्या कमावा तुम.....

जिंदगी का दिन कटेणा,
स्याणि गाण्यौं मा,
ख्वेक सब्बि धाणि हम,
सदानि स्याण्यौं मा.....

म्वोळ माटु ह्वेगि आज,
कख जाणा छौं,
अपणि स्वाणि संस्कृति,
धार लगाणा छौं....

अति प्यारु पाड़ हमारु,
मन सी प्यारु छ,
ब्वे बाबु कु द्येस छ,
दुन्यां मा न्यारु छ.....

ज्वानि बगिगी पाड़ की,
पाणी बगणु छ,
बौड़ि नि सक्दा पाड़ हम,
यनु लगणु छ.....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
दिनांक 4.4.2017

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