Wednesday, November 22, 2017

ढुंगा ब्वल्दन...




ढुंगा ब्वल्दन गीत लगावा,
हम भि सुण्दा गीत छौं,
सच नि स्वोच्दा छैं तुम,
हम भि एक संगीत छौं। 

घण की चोट मारा हम फर,
देखा हम भि गान्दा छौं,
गूंजदि छ आवाज हमारी,
घाटी मा छै जान्दा छौं। 

आपसी छ रिस्ता हमारु,
तुम कतै नि बिंगणा छन,
जौं भितरु फर तुम रन्दा,
हम सी हि बण्दा छन। 

संगीत सभा सज्दि छ,
जब तुमारा प्यारा घर मा,
सुण्दा छौं संगीत हम भी,
ऐ जान्दा छौं लहर मा। 

बाटा फुंड हिटदा जब तुम,
हमारी पीठ मा हिटदा छैं,
द्येख्दा छैं रौंत्याळा डांडा,
मस्त ह्वेक रिटदा छैं। 

मनखि ढुंगा ह्वे जान्दा,
हम सी तुलना करदा छन,
हम छौं गुणवान भारी,
सुणिक दु:खी होंदु मन। 

निरलोभी छ सुभौ हमारु,
मनखि त लोभी होन्दु छ,
मायाजाळ मा भटगिक,
दिन रात दु:खी होंदु छ। 

मनख्यौं सी हम भला छौं,
हम्तैं मनखि पूज्दा छन,
मन्दिर मा मूर्ति द्येखिक,
सुख की कामना करदा छन। 

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
दिनांक 23/11।2017


डाळि....



कैन स्वोचि, छैल देलि,
घाम सी बचालि,
फल फूल भी लगला,
ध्यान करिक जग्वाळि,
धर्ति कु श्रृंगार भी ह्वोलु,
यीं आस मा पाळि....

नजर अपणि अपणि,
कैन स्वोचि, मोर अग्वाड़ि,
छैल कन्नि छ या डाळि,
किलैकि ह्युंद लग्युं छ,
यींका फांगा काटि देवा,
ह्युंद का घाम कु,
खूब मजा ल्येवा.....

रुड़्यौं का दिन ऐन,
डाळि ह्वोयिं थै,
खूब झप्पन्याळि,
छैल मा बैठिक छ्वीं,
लगौणा भै बंध गढ़वाळि,
जन भी स्वोचा?
डाळि पाळिक फैदा खूब,
यीं आस मा हि पाळि....

गाड गदना का धोरा,
होन्दि ज्व डाळि,
वीं फर धागु बांधिक,
भूत, पिचास अर खबेस,
पूज्दा हम गढ़वाळि,
कुजाणि क्या ह्वे जान्दु,
सूखि जान्दि स्या डाळि.....
 

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
ग्राम- बागी नौसा, चंद्रवदनी,
टिहरी गढ़वाळ।
दूरभाष: 9654972366,  
दिनांक 22/11/2017

Wednesday, November 15, 2017

यमन स्वोचि ह्वोलु....


यमनगरी मा म्येरी,
एक कला दीर्घा बणावा,
धर्ति मा छन बृजमोहन नेगी,
ऊं तैं झटपट ल्हावा.....

दमड़ि का बिना,
धर्ति मा चित्रकार,
करि नि सकणा था,
खुलिक कला श्रृंगार.....

कनु दुर्भाग्य छ,
सरकारन नि करी सहयोग,
पौड़ी मा बणै देन्दा कला दीर्घा,
देख्दा सब्बि ल्वोग.....

धर्ति मा कदर निछ,
साहित्य कला कु सम्मान,
हुनरवान रै जांदन,
चाटुकार पौंदा मान.....

यम ह्वोलु ब्वोन्नु,
नेगी जी, खूब करा चित्रकारी,
दिखै द्येवा हुनर कला कु,
या इच्छा छ हमारी....

अब नि दिखेण धर्ति मा,
स्वर्गवासी नेगी जी चित्रकार,
कवियों की कविता कु,
करदा चित्रकारी सी श्रृंगार.....

शत् शत् नमन अर श्रद्धाजंलि,
आपतैं मान्यवर नेगी जी,
आपका स्वर्गवासी ह्वोण फर,
कविमन दु:खी ह्वेगि जी.....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
ग्राम- बागी नौसा, चंद्रवदनी,
टिहरी गढ़वाळ।
दूरभाष: 9654972366,  
दिनांक 27/11/2017 
रंत रैबार मा प्रकाशित मेरी या श्रद्धाजंलि कविता

श्रद्धाजंलि....



पौड़ी शहर में,
पौड़ी श्रीनगर रोड से,
सीढ़ियां उतरने के बाद,
महान चित्रकार का घर,
आज बहुत ऊदास है,
जहां चित्रकार से मिलने,
साहित्यकार और कला प्रेमी,
जाते रहे होगें,
महान बृजमोहन नेगी जी से,
उनके व्यक्तित्व के धनी,
चित्रकारी के हुनर और,
मृदु स्वभाव के कारण.....

सबके मन में बसते थे,
यादें उनकी आज भी बसी हैं,
सभी कवियों की कविताओं को,
सम्मान प्रदान करते हुए,
तेरह सौ के लगभग कविता पोस्टर,
बनाए महान चित्रकार नें,
हिमवंत कवि चन्द्र कुंवर बर्त्वाल जी की,
कालजई कविताओं को भी,
ऊकेरा था चित्रकारी के माध्यम से,
आज हमारे बीच नहीं हैं,
चले गए अनंत यात्रा पर,
न जाने कहां.....

गौचर, गोपेश्वर जहां,
डाक विभाग में नौकरी करते हुए,
चित्रकारी की थी चित्रकार नें,
अहसास कर रहे होगें,
चले जाने के सूनेपन का,
क्या बीत रही होगी?
वहां रहने वाले शुभचिंतकों पर,
जिनके मन को जीता होगा,
महान चित्रकार नेगी जी नें.....

कलाकृति और चित्रकारी का,
अकूत भण्डार मौजूद है,
चित्रकार के घर में,
एक प्रश्न है आज,
कौन रखेगा सहेजकर?
कला, साहित्य प्रेमी और सरकार,
मिलकर जरुर पहल करें,
संग्रहालय में संग्रहित करने की,
यही सच्ची श्रद्धाजंलि होगी,
महान चित्रकार के प्रति....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
ग्राम: बागी नौसा, चंद्रवदनी,
टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड।
30.10.2017

मलेेथा की कूल