Friday, June 25, 2010

"सिद्धपीठ चन्द्रबदनी"

चंद्रकूट पर्वत शिखर,
खास पट्टी, टिहरी गढ़वाल,
२७५६ मीटर की ऊँचाई फर,
स्थित छ चन्द्रबदनी मन्दिर,
जख औन्दा छन भक्त गण,
दूर दूर देश, प्रदेश बिटि,
अर करदा छन कामना,
होंणी, खाणी, सुखी जीवन की,
होन्दि छ मनोकामना पूर्ण,
माँ चन्द्रबदनी का दर्शन करिक.

जब भगवान शिव शंकर,
माता सती कू मृत शरीर,
दगड़ा ल्हीक विरह मा,
विचरण कन्न लग्यां था,
माता सती कू बदन,
सुदर्शन चक्र सी कटिक,
चंद्रकूट पर्वत शिखर फर,
भ्वीं मा पड़ी,
"सिद्धपीठ चन्द्रबदनी",
एक प्रसिद्ध तीर्थ बणि.

चन्द्रबदनी तीर्थ स्थल,
सुरम्य अर रमणीक भारी,
जख बिटि दिखेन्दि छन,
हिवाँळी काँठी, डाँडी प्यारी.

रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित.मेरा पहाड़, यंग उत्तराखंड, हिमालय गौरव उत्तराखंड, पहाड़ी फोरम पर)
दिनांक:२५.६.२०१०, दिल्ली प्रवास से.....(ग्राम: बागी-नौसा, पट्टी.चन्द्रबदनी, टिहरी गढ़वाल)
(छट्ट छुटिगि प्यारु पहाड़)

छट्ट छुटिगि सुणा हे दिदौं,
ऊ प्यारु पहाड़-२
जख छन बाँज बुराँश,
हिंसर किन्गोड़ का झाड़-२

कूड़ी छुटि पुंगड़ि छुटि,
छुटिगि सब्बि धाणी,
कखन पेण हे लाठ्याळौं,
छोया ढ़ुँग्यौं कू पाणी.
छट्ट छुटिगि सुणा हे दिदों.....

मन घुटि घुटि मरिगि,
खुदेणु पापी पराणी,
ब्वै बोन्नि छ सुण हे बेटा,
कब छैं घौर ल्हिजाणी.
छट्ट छुटिगि सुणा हे दिदों.....

भिन्डि दिनु बिटि पाड़ नि देखि,
तरस्युं पापी पराणी,
कौथगेर मैनु लग्युं छ,
टक्क वखि छ जाणी.
छट्ट छुटिगि सुणा हे दिदौं.....

बुराँश होला बाटु हेन्ना,
हिंवाळि काँठी देखणा,
उत्तराखण्ड की स्वाणि सूरत,
देखि होला हैंसणा.
छट्ट छुटिगि सुणा हे दिदों.....

दुःख दिदौं यू सब्यौं कू छ,
अपणा मन मा सोचा,
मन मा नि औन्दु ऊमाळ,
भौंकुछ न सोचा.
छट्ट छुटिगि सुणा हे दिदों.....

जनु भी सोचा सुणा हे दिदौं,
छट्ट छुटिगि, ऊ प्यारु पहाड़,
जख छन बाँज बुराँश,
हिंसर किन्गोड़ का झाड़.

रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित,प्रकाशित उद्धरण, प्रकाशन के लिए कवि की अनुमति लेना वांछनीय है)

मलेेथा की कूल