Monday, December 26, 2022

बचपन में पहाड़...




एक पीढ़ी ने अपना,

बचपन यूं बिताया,

काम होता था बहुत,

चैन कम हि पाया।

 

बंठा लेकर धारे पर,

पानी के लिए जाना,

फिर अपने खेतों में,

बैलों से हल लगाना।

 

गांव से बहुत दूर,

प्राईमरी स्कूल जाना,

मिट्टी पाटी में फैलाकर,

अक्षर ज्ञान पाना।

 

सूती फटे कपड़ों पर,

टल्ले लगाकर पहनना,

मन में कोई मलाल नहीं,

सादगी से रहना।

 

बिजली नहीं थी तब,

लैम्प जलाकर पढ़ना,

किताबों को मन से ,

जी भरकर रटना।

 

अगेले से आग जला कर,

चूल्हे जलाए जाते थे,

अगल बगल के परिवार,

आग ले जाते थे।

 

पगडंडियों पर पैदल ही,

दूर दूर तक जाना,

नयें कपड़े पहनकर,

बहुत खुश हो जाना।

 

ब्यो भंत्तर जब होते,

गांव में रौनक बढ़ जाना,

परदेस से नौकर्याळों का,

बहुत दिनों बाद आना।

 

सामूहिक श्रमदान करके,

हर काम में हाथ बंटाना,

प्रेम बहुत था आपस में,

सुख दुख में काम आना।

 

पैसा बहुत दुर्लभ था,

मन में नहीं कोई मलाल,

बचपन में पहाड़ ऐसा था,

मनख्वात थी हमारे गढ़वाल।

 

जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू

ग्राम: बागी-नौसा, पट्टी: चन्द्रवदनी,

टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड।

दूरभाष: 9654972366, 22.12.22









 

Monday, November 7, 2022


 कुमगढ़ पत्रिका अंक सितम्बर-अक्तूबर, 2022 मा प्रकाशित म्येरी स्वरचित रचना

 

पाड़ै बेटी

 

जौंका सुपिन्या ह्वन्दन,

पढ़ि लिखिक नौकरी पौला,

खाण कमौणा खातिर,

दूर परदेस जौला।

 

यनु हि स्वचिक,

ऐ थै अंकिता भण्डारी चीला,

क्रूर राक्षसुन खत्म करि,

जैंकि जीवन लीला।

 

आबरु बचौणा खातिर,

करि अपणु बलिदान,

पाड़ै बेटी नमन त्वेकु,

तू थै हमारा पाड़ै शान।

 

हर उत्तराखण्डी दु:खी छ,

मिल्युं चैन्दु अंकिता तैं न्याय,

दुराचारियौं तैं फांसी हो,

जौंन करि अति अन्याय।

 

घंघतोळ भि होणु छ?

क्या अदालत करलि न्याय,

दर्जाधारी सब सबूत मिटैक,

फिर करला अति अन्याय।

 

शत् शत् नमन त्वेकु,

पाड़ै बेटी अंकिता भण्डारी,

हृदय सी श्रध्दाजंलि,

तू थै पाड़ै बेटी हमारी।

 

जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू

ग्राम: बागी-नौसा, पट्टी: चन्द्रवदनी,

पौ.औ. कुंडड़ी, टिहरी गढ़वाळ,

दूरभाष: 9654972366

दिनांक 05/10/2022

Monday, July 18, 2022

डख्याटगौं,बड़कोट, उत्तरकाशी भ्रमण(16-19 अप्रैल,2022)

 

डख्याटगौं,ड़कोट, उत्तरकाशी भ्रमण

(16-19 अप्रैल,2022)

 

पाड़ की यात्रा कन्नु म्येरु खास शौक छ। पहाड़ खास करिक उत्तराखण्डा पाड़। ब्यो बरात कु न्युतू हो या पाड़ भ्रमण कु क्वी मौका, मैं प्रयास करदु, जरुर जाण अपणा प्यारा पाड़। महानगर की जिंदगी काफी औखि होन्दि छ। मन सदा विद्रोह करिक पाड़, धौळि अर घाट्यौं का मुल्क उत्तराखण्ड जथैं जाण कु करदु छ।  ऊंचा ह्युंचळा सुखिला कांठा, हरा भरा पाड़, प्वथ्लौं कु चुंच्याट, धौळ्यौं कु सुंस्याट, गाड गदन्यौं मा बग्दु पाणी, पाड़ कु लोकजीवन अति मनोहारी लग्दु छ। मेरी जिज्ञासा सदा मैकु प्रेरित करदि छ, मन मा बस्यां पाड़ भ्रमण की।

 

देवभूमि उत्तराखण्ड तैं देखौं, उड़िक अनंत आगास सी,

हरा भरा पाड़ तैं निहारौं, जैक गाड गदन्यौं का पास सी।

 

 सन् 1803 मा हमारा जयाड़ा बंधु ग्राम-झनाऊं, चंद्रवदनी, टिहरी गढ़वाळ बिटि पलायन करिक डख्याटगौं, बड़कोट, उत्तरकाशी पलायन करिक गयन। चंद्रवदनी क्षेत्र मा हमारा आज तीन गौं नौसा-बागी, पबेला छन। चंद्रवदनी हमारी कुलदेवी छ। अप्रैला मैना हर साल डख्याटगौं मा चंद्रवदनी मेळा अर रामलीला कु आयोजन होन्दु छ। भै बंध हर साल मेळा मा शामिल होणा खातिर हम्तैं बुलौन्दा छन। हम्न कार्यक्रम बणाई अर देरादूण बिटि 16/04/2022 कु सुबेर दस बजि डख्याटगौं का खातिर प्रस्थान प्रस्थान करि। सफर का साथी श्री गोबिन्द सिंह जयाड़ा अर भुला दर्मियान सिंह जयाड़ा  था।    श्री दर्मियान सिंह गाड़ी चलौणा था अर हम प्रकृति की रौनक देखण लग्यां था। रायपुर, सहस्रधारा क्षेत्र का बाद मसूरी की चढ़ाई शुरु ह्वेगे थै।  हम्न गाड़ी मा पेट्रोल भरौण थौ पर मसूरी सी पैलि एक पेट्रोल पम्प मिलि जू बंद थौ।  सड़क भौत व्यस्त ह्वयिं थै किलैकि लगातार चार दिन की छुट्टि थै।   दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश  की गाड़ी भौत नजर औणि थै।  मसूरी सी पैलि पश्चिम दिशा मा हमारी गाड़ी कैम्पटी फाल बाईपास जथैं मुड़ी।  

 

लगभग एक घंटा बाद हम कैम्पटी फाल पौंछ्यौं अर एक पेट्रोल पम्प फर हम पेट्रोल भरौणा खतिर लैन मा लग्यौं।  पेट्रोल पम्प वाळान सिर्फ पांच सौ रुप्या कु हि पेट्रोल दिनि।  मन मा चिंता होण लगि अब पेट्रोल कख मिललु? मसूरी भौत खूबसूरत हिल स्टेशन छ।  कैम्पटी फाल क्षेत्र मा जाम की स्थिति थै।  ठंडु मठु हमारी गाड़ी अग्वाड़ि बढ़ण लगिं थै।  पाड़ मा पर्यटक रुपी बिन बुलैयां मैमान ऐ जान्दन अर भारी अव्यवस्था सी ह्वे जान्दि छ।  गाड़ी मोटर अर अथाह सैल्वानी कैम्पटी फाल क्षेत्र मा नजर औणा था।  अब हम उतराई का रास्ता यमुना पुल जथैं जाण लग्यां था।  गर्मी कु मौसम होणा कारण डांडा रुखा सी नजर औणा था।  कुछ देर का बाद हम यमुनोत्री हाईवे पौंछ्यौं अर अब हम नैनबाग की तरफ जाणा था। सड़क कम चौड़ी होणा कारण भुला दर्मियान सिंह गाड़ी आराम सी चलौणु थौ।  कुछ देर बाद नैनबाग पौंछिक हम्न गाड़ी मा पेट्रोल भराई अर मन की चिंता दूर ह्वे। 

 

भुला दर्मियान सिंह न इच्छा बताई कि अब कखि खाणौ खाण।  नैनबाग बिटि अब हम डामटा की तरफा जाणा था।   कुछ देर बाद डामटा पौंछण फर हम्न एक चौहान होटल का अग्वाड़ि गाड़ी रोकी अर भोजन करि।  वेटर बड़ा प्यार सी पूछि पूछिक हम्तैं भोजन करौणु थौ।  मैंन वे तैं गौर सी देखि, यनु लगणु थौ जन वेकी  घूंट लगैयीं हो। जिज्ञासा वश मैंन वे तैं पूछि, आपकु नौं क्या छ अर घर कख छ? वेन बताई मैं उत्तर प्रदेश कु छौं अर म्येरु नौं शंभुनाथ छ।  वेकी हिमाचली ट्वप्लि पैरिं थै अर शक्ल मा जौनसारी सी लगणु थौ।  कुछ देर बाद हम्न बर्नीगाड की तरफ प्रस्थान करि।  मौसम कुछ ठंडु होण लग्युं थौ अर आगास मा बादल अर बथौं।   लगभग छ बजि हम बड़कोट बजार पौंछ्यौं, वेका बाद यमुनोत्री हाईवे बिटि नीस यमुना पुल राजगढ़ी मार्ग की तरफ डख्याटगौं का खातिर मुड्यौं। अनमोल जयाड़ा हमारी जग्वाळ कन्न लग्युं थौ।  वू अब हमारी गाड़ी का पिछ्नैं चन्न लग्युं थौ।  टट्वा का ऐंच पौंछण फर हम्तैं एक बुजुर्ग नजर ऐन, हम्न गाड़ी रोकिक अर वूं तैं अपणि गाड़ी मा बैठाई।  टट्वा मा हमारा जयाड़ा बंधु रन्दा छन, ये कारण सी मैंन गाड़ी रुकवाई। परिचय कु दौर चलि त पता लगि आप श्री लीला सिंह जयाड़ा छन। कुछ देर बाद हम गौं का नीस पाणी का धारा का नजिक रुक्यौं।  भुला दर्मियान सिंह न गाड़ी ठीक जगा फर पार्क करि अर वेका बाद हम श्री अनमोल जयाड़ा दगड़ि वूंका घर फर पौंछ्यौं।

 

रिमझिम बरखा शुरु ह्वेगे थै। हम्न श्री कुशाल सिंह अर श्री रुकम सिंह जयाड़ा जी सी मुलाकात करि। छ्वीं बात कु दौर चलि अर वेका बाद हम्न भोजन करि।  मन मा रामलीला देखण की चाह थै, ये वास्ता हम रात 9 बजि रामलीला मंच फर पौंछ्यौं अर रामलीला देखि।  सीता हरण कु दृष्य थौ।  मारीच ब्वन्न लग्युं थौ, हे! रावण, अब मैं फर बुढ़ापु ऐगि अर मैं फर अब समर्थ नि रैगि।  कलाकार सुंदर अभिनय करिक जीवंत ऐसास करौणा था।  रामलीला समिति न मैकु मंच फर बुलाई अर मैंन अपणि एक गढ़वाळि रचना तीन पराणिसुणाई।  ठंड कु ऐसास भौत होणु थौ, श्री विपुल जयाड़ा उप-प्रधान जिन मैकु अपणि जैकेट दिनि अर ठंड सी कुछ बचौ ह्वे।  हम दिन का सफर करिक कुछ थक्यां था। लगभग रात 11 बजि हम श्री अनमोल जयाड़ा का आवास फर अयौं अर सेग्यौं।

 

रात कु खूब निंद आई अर 17/04/2022 कु सुबेर भैर प्वथ्लौं कु चुच्यांट सुणिक म्येरी निंद बिजि।  मैं झट्ट भैर अयौं अर पाड़ मा सुबेर प्रकृति कु सौंदर्य, गौं अर गौं का लोक जीवन की झलक, दख्याटगौं बिटि दूर बड़कोट घाटी, हरा भरा पाड़ मनमोहक लगण लग्यां था।  यात्रा फर जाण कु मतलब, संस्कृति, प्रकृति अर लोक-जीवन की झलक देखण कु मौका।  मैंन मोबाईल कैमरा सी पूरा क्षेत्र की विडियो बणाई।  कुछ देर बाद हम नहे धुयेक अर नश्ता करिक श्री सकलचंद जयाड़ा जी का घौर गयौं अर वेका बाद सड़क मा पौंछ्यौं।  हमारा दगड़ि श्री सकलचंद जयाड़ा जी अर रुकम सिंह जयाड़ा जी था।  गाड़ी मा बैठिक हम्न राजगढ़ी का खातिर प्रस्थान करि।  पिछला  द्वी भ्रमण का दौरान मैं ऐतिहासिक राजगढ़ी तैं नि देखि सकि थौ। अबरि दां म्येरी हार्दिक इच्छा थै, पुरातन राजा की गढ़ी जरुर देखौं। 

 

राजगढ़ी पौंछिक हम केन्द्रीय विद्यालय परिसर ह्वेक श्री जयवीर सिंह जयाड़ा जी का घर की तरफ जाण लग्यां था।  जयवीर भैजि न राजगढ़ी तैं सड़क मार्ग सी जोड़ी, केन्द्रीय विद्यालय भी बणवाई, जैका खातिर भूक हड़ताळ भि करि। जयवीर भैजि बतौन्दन अब म्येरु लक्ष्य छ, बड़कोट बिटि राजगढ़ी तैं रज्जू मार्ग सी जोड़नु।   जब हम जयवीर भैजि का घर फर पौंछ्यौं त वूंन हम्तैं गौळा लगाई अर हैंसिक हमारु स्वागत करि।  परिवार का लोगु तैं मिलिक अब हम बैठक मा बैठ्यौं।  काफी देर बातचीत कु दौर चलि अर वेका बाद हम्न भोजन करि।  दिन का लगभग 12 बजिगे था, वेका बाद हम राजा की गढ़ी देखण गयौं। गढ़ी का गेट फर कंडाळि जमीं थै।  मुख्य द्वार बिटि हम्न भीतर प्रवेश करि त देखि, पूरी गढ़ी अब जीर्ण ह्वेगि अर टूटि फूटिगि।  जिज्ञासा वश मैंन जयवीर भैजि सी गढ़ी की दशा फर बातचीत करि। भैजि न बताई, मैंन राजा अर सांसद मानवेन्द्र शाह जी कू बोलि थौ, आप यीं जगा फर  एक भवन बणै देवा जू जंता का काम आलु पर वूंन गौर नि करि।

 

दिन का एक बजिगे था अब हम्न दख्याटगौं का खातिर प्रस्थान करि।  गौं का ऐंच चंद्रवदनी मंदिर मूं रुकिक हम्न माता का दर्शन कर्यन अर पगडंडी मार्ग सी पैदल गौं का खातिर प्रस्थान करि।  बाटा मा हमारी मुलाकात श्री गुरुदेव सिंह जयाड़ा जी सी ह्वे।  गुरुदेव जी आई.टी.बी.पी. मा सेवारत छन अर मेळा का खातिर गौं अयां था। गुरुदेव जी का आवास फर कुछ देर रुकिक हम गौं का बीच तटेश्वर महादेव जी का मंदिर परिसर मा पौंछ्यौं।  मेळा की तैयारी होण लगिं थै।  पारंपरिक परिधान मा सजि धजिक गौं का लोग अर रिस्तेदार मेळा मा औण लग्यां था।  बेटी ब्वारियों का गौळा मा सोना का तिमाण्यां पैर्यां था जू भौत सुंदर लगण लग्यां था।  पैलि हमारा क्षेत्र मा ब्यौलि तिमाण्यां पैरदि थै अब या परंपरा खत्म ह्वेगि।  तटेश्वर महादेव की डोली नाचण लगिं थै, नौना, बाळा, बेटी ब्वारि अर बैख पारंपरिक अंदाज मा झुंग्टा मारिक नाचण लग्यां था।  अलौकिक दिव्य सांस्कृतिक मेळा की झलक अति सुंदर लगणि थै।  कुछ देर बाद हम्न प्रदीप जयाड़ा, श्री लीला सिंह जयाड़ा जी का घर मा बैठिक अथित्व कु आनंद ल्हीक ब्याख्नि बग्त रुकम सिंह जयाड़ा जी का घर पौंछ्यौं। भोजन करिक हम रात कु सेग्यौं।  थकावट का कारण हम रामलीला देखण नि जै सक्यौं।

 

सुबेर 18/04/2022 कखि दूर तीतर कु बासणु सुणिक मैं भैर अयौं।  गौं का नीस ग्यूं की सार हरी भरीं दिखेणि थै।  दख्याटगौं का सब्बि मकान पुराणा अर पारंपरिक छन।  बीच गौं मा तटेश्वर महादेव जी कु भव्य मंदिर छ।  ज्यादातर मकान नीमदरीनुमा छन जौं फर सुंदर कलाकारी करिं छ।  गौं का ऐंच 55 हेक्टयर मा बांज बुरांस कु घणु बण छ।  मन्दिर का नजिक हि द्वी जौळ्यां मगरा छन।  अतीत मा एक साधु गौं मा आई अर वेन एक माता जी सी पाणी मांगी।  माता जिन ब्वलि मैं अब्बि धारा बिटि पाणी ल्हौन्दु।  धारु दूर होण का कारण पाणी ल्हौण मा देर ह्वेगि।  साधु न द्वी जगा फर चिमटा की कच्चाग मारी अर वख बिटि द्वी पाणी का धारा बगण लगिन जु आज मगरा का रुप मा छन. गौं वाळौंन एक मंदिरनुमा भवन बणैक वेका भीतर द्वी मगरा सुरक्षित कर्यां छन अर वख मूं कपड़ा धोणु अर नहेणु वर्जित कर्युं छ। 

 

सबसी पैलि हम नश्ता करि अर श्री आलोक सिंह जयाड़ा असिस्टेंट कमान्डेट, आई.टी.बी.पी. का घर गयौं।  जब हम घर का नजिक पौंछ्यौं त हम्न देखि वख मूं सरकारी स्कूल का चौक मा बच्चा रामलीला का खातिर बांदर इत्यादि की वेशभूषा मा सज्यां धज्यां था।  आज रामलीला कु अंतिम दिन थौ अर राजगद्दी कु मंचन होण थौ।  श्री आलोक का घर मा जैक हम्न कुछ पक्वांन खैन अर फिर गौं जथै लौटिग्यौं। वेका बाद हम  श्री पंकज जयाड़ा का घर फर गयौं।  श्री जबर सिंह जयाड़ा, श्री भजन सिंह जयाड़ा अर श्री जगमोहन सिंह जयाड़ा जी दगड़ि मुलाकात ह्वे।  श्री जबर सिंह जयाड़ा जी का सुपुत्र श्री धीरेन्द्र सिंह जयाड़ा अबरि भारतीय वायु सेना मा विंग कमान्डर छन।  श्री भजन सिंह जी का बड़ा बालका डाक्टर छन अर श्री जगमोहन सिंह जयाड़ा जी का सुपुत्र श्री पंकज उत्तराखण्ड पुलिस, नई टिहरी मा कार्यरत छन।  कुछ देर रुकण का बाद हम श्री कुशाल सिंह जयाड़ा जी का घर गयौं।  पंकज जयाड़ा न हम्तैं शाम का भोजन कु निमंत्रण दिनि। श्री कुशाल सिंह जी का घर फर रुकिक हम्न कुछ पक्वांन खैन अर वेका बाद श्री सकलचंद जयाड़ा जी का घर फर गयौं।  हरेक भै बंध हम्तैं अपणा घौर बुलौणा था अर हम अथित्व कु आनंद लेणा था। 

 

अब रामलीला शुरु ह्वेगे थै, अर चौक मा तटेश्वर महादेव की डोली नाचण लगिं थै।  मेळा की रंगीन रौनक अति स्वाणि लगणि थै।  मर्द अर जनाना झुंग्टा मारिक गोळ घेरा मा नाचण लग्यां था।  पारंपरिक मेळा की झलक अति सुंदर होन्दि छ।  रौ रिस्तेदार भी मेळा मा शामिल होण कु अयां था।  श्री छौन्दाड़ा सिंह जयाड़ा जी सी पिछली रात हमारी मुलाकात ह्वे थै। आज फिर हमारी मुलाकात ह्वे, श्री छौन्दाड़ सिंह हम्तैं मेळा का नजिक हि एक पारंपरिक घर मा ल्हिग्यन अर हमारी मैमानदारी करि।  हम्तैं श्री छौन्दाड़ सिंह जयाड़ा जी तैं मिलिक अति खुशी कु ऐसास ह्वे।  मैमान कु यथ्गा आदर सत्कार मैंन अपणि जिंदगी मा कखि नि देखि, हम्न बोलि हम भै बंध छौं, ये वास्ता आप हम्तैं मैमान न समझा। ब्याखुनि बग्त हम मेळा देखिक श्री अनमोल जयाड़ा का घर फर अयौं।

 

ब्याख्नि कु बग्त ह्वेगे थौ, हम तैयार ह्वेक पंकज जयाड़ा का घर गयौं।  मकान देवदार की लकड़ी कु भव्य नीमदरी की तरौं बण्युं थौ।  भोजन कन्न का खातिर हम सीड़ी चढ़िक ढै़पुरा की तरफ गयौं अर वख हम्न खाणौं पेणौं खाई।  अथित्व सम्मान पूर्वक ह्वे अर भौत भलु लगि।  भै बंधु कु प्यार आत्मीयता सी मिन्नु थौ।  भोजन कन्न का बाद हम श्री अनमोल जयाड़ा का घर अयौं अर सेग्यौं।

 

19/04/2022 कु सुबेर उठिक हम्न देरादूण वापिस जाण की तैयारी शुरु करि।  चाय पेण का बाद हम श्री सकलचंद जयाड़ा जी का यख गयौं।  राजगढ़ी बिटि श्री जयवीर सिंह जयाड़ा जी हम्तैं विदा कन्न कु ऐन।  अब हम सड़क की तरफ अयौं अर श्री जयवीर भैजि अर श्री सकलचंद भैजि हम्तैं छोडण ऐन।  अब विदाई कु भावुक समय ऐगि थौ, हम्न द्वी भैजियौं तैं प्रणाम करिक बड़कोट का खातिर प्रस्थान करि।  श्री लीला सिंह जयाड़ा भि हमारा दगड़ि बड़कोट तक ऐन अर हम्तैं श्री उपेन्द्र सिंह जयाड़ा जी का घर ल्हिग्यन।   निमंत्रण का अनुसार श्री उपेन्द्र भैजि न हम्तैं भोजन करवाई। मैंन भैजि तैं अपणु पैलु गढ़वाळि कविता संग्रै अठ्ठैस बसंत सपिरेम भेंट करि।   दिन का लगभग बारा बजिगे था,अब देरादूण का खातिर हम्न प्रस्थान करि।   यमुना घाटी भौत गर्म थै, बर्नीगाड पौंछिक हम्न हात मुक्क ध्वे अर भुला दर्मियान सिंह न अपणि गाड़ी की धुलै करि। 

 

डामटा, नैनबाग होन्दु अब हम कैम्पटी फाल की तरफ गयौं।   कैम्पटी सी पैलि एक जगा रुकिक हम्न एक पाणी कु छौडु़ देखि।  उत्तराखण्ड का जगा जगा बग्दु पाणी दिखेन्दु।  पर्यटक ये कारण यख औण का खातिर आकर्षित होन्दा छन।  पर्यटक पाड़ मा कूड़ा भी फैलौन्दा छन जू भलि बात निछ।  कुछ देर रुकणा बाद हम कैम्पटी फाल, मसूरी, देरादूण की तरफ गयौं।  गर्मी होण का कारण मौसम साफ नि थौ।  हर जगा धुयेंरु सी लग्युं थौ।   सहस्रधारा, रायपुर होन्दु हम ब्याखुनि बग्त चार बजि अपणा जयाड़ाज फास्ट फूड रेस्टोरेन्ट बालावाला पौंछ्यौं।   यात्रा हमारी सुखद रै अर भौत आनंद ऐ। 

 

भविष्य मा हमारी बिमरु गौं, पीपलकोटी, चमोली अर गंगी गौं घूत्तू जाण की इच्छा छ।  पाड़ की यात्रा कन्नु परम सौभाग्य की बात छ।  राजि खुशी रौला, जरुर बग्त बग्त फर अपणा प्यारा मुल्क उत्तराखण्ड जौला। देवभूमि चारधाम भ्रमण की भी अति इच्छा छ।  जग्वाळ मा छौं, रिटैर ह्वेक चारधाम यात्रा फर भि जरुर जाण। 

 

जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू

नौसा-बागी, चंद्रवदनी,

टिहरी गढ़वाळ।

दूरभाष: 9654972366

मलेेथा की कूल