Thursday, May 19, 2016

परीक्षा.....




विज्ञान कू पेपर थौ वे दिन, चिंतान दिल धड़कणु थौ,
अपशकुन ह्रवैगे थौ पैलि, मेरु बांयु आंखु फड़कणु थौ.....


सवाल मैंन याद करि था, स्कूल तक मैं बिसरिग्यौं,
घंघतोळ होणु मन मा भारी, आज कनु मैं मरिग्यौं......

लेट ह्रवैग्यें आज बेटा तू, चपड़ासी मैंकु बतौणु थौ,
दनकिक गयौं कमरा मा, सीट अपणि खुजौणु थौ....

कौफी पेपर हात मा पकड़ि, आंखी मेरी घूमणि थै,
पेपर पढ़िक आई चक्कर, बात मैकु नि सूझणि थै.....

सौ नंबर कू पेपर थौ, मन्न लगिं थै मन की आस,
कै भी हाल मा ऐंसु मैं, करि नि सकदु परीक्षा पास......

हे पेपर बणौण वाळा, अब मैं क्या द्यौं जबाब,
खौळ्युं सी रैग्यौं तब मैं, खुल्ली रैगि मेरी खाब......

पेपर त्वैन बणाई कनु, कतै नि आई त्वैकु लाज,
परीक्षा मैंकु पहाड़ ह्रवैगि, संकट भारी मैकु आज......

दिनांक 18.5.2016

अठ्ठैस बसंत......




हिमवंत कविन देखि था,
अंत मा पतझड़ सी आई,
वेदना बसिं थै बदन मा,
निडर ह्वैक कलम चलाई......

होणु थौ अहसास कवि तैं,
अब कुछ दिन हि बच्युं रौलु,
निष्प्राण होण तक मैं,
कुछ कालजई रचि जौलु....

कविन देखि थै अन्वार अपणि,
डौर सी कंपनारु छुटि,
कैं व्यथा का कारण मेरु,
बसंत रुपी यौवन लुटि.....

दूर हि रा माँ जी मैसी,
तैं थगोलि मैं जनैं सरकौ,
क्षय रोग सी ग्रस्त छौं मैं,
मुक्क अपणु फुंड फरकौ.....

माँ का मन की वेदना,
नौनु दिन दिन हर्चणु थौ,
वेदना ग्रस्त हिमवंत कवि,
निडर रचना रचणु थौ.....

देखिक अंतहीन वेदना मेरी,
सब्बि चांदा मैं जान्दु मर,
आभार प्रगट करदा प्रभु कू,
दग्ध करि गंगा तट फर.......

"अठ्ठैस बसंत" बित्यन जनि,
निर्दयी पतझड़ सी आई,
काफळ पाको कवि चन्द्र कुँवर,
काल का मुख मा समाई.......
दिनांक 17.5.2016

उत्तराखण्ड की राजनीति....



आजतक बिंगण मा नि आई,
बोला त ज्यु कू जंजाळ छ,
बिकास की आस मरिगी,
लाटु कुमौं गढ़वाळ छ.....

हात हत्यौणु फूल लौंफ्यौणु,
सत्ता कुर्सी के खेल खेलेणु छ,
बिकास की जगा भौंकुछ होणु,
उत्तराखण्ड प्यारु तरसेणु छ....

नेतौ कू बिकास होण लग्युं,
जनता बिचारी टपराणी छ,
अपणा बिकास की आस मा,
पहाड़ त्यागिक जाणी छ.....

उजड़्या कूड़ा बांजा पुंगड़ा,
पाड़ का हाल बतौणा छन,
नेता भग्यान मस्त ह्रवैक,
देरादूण मा मौज मनौणा छन....

उत्तराखण्ड की राजनीति,
नाक मा चणा चबौणि छ,
कोर्ट, कचैरी, देश मा,
जैंकि भारी चर्चा होणी छ.....
दिनांक 8.5.2016

मलेेथा की कूल