बीस बरस कु ज्वान ह्वेगि,
ब्वला त सयाणु ह्वेगि,
बिकास भि होण लग्युं,
पैलु जनु अब नि रैगि।
कर्णप्रयाग तक रेल जाणी,
ऊद बगणु अलकनंदौ पाणी,
आल वैदर रोड भि बण्नि,
यनु ह्वलु कैन नि जाणी।
रोजगार की आस जगणि,
पर्यटन बिकास होणु,
जतन कन्ना ज्वान सब्बि,
उत्तराखण्ड खुश होणु।
द्यख्दु जावा क्या क्या
ह्वलु,
पर्यावरण भि बचौण पड़लु,
पाड़ घच्चोरी हरेक पाड़,
दु:खी ह्वेक ऊद भि रड़लु।
भाषा संस्कृति कायम
रौ,
उत्तराखण्डै ज्व छ पछाण,
बांज बुरांसा बण प्यारा,
जख बस्दु हमारु पराण।
ज्यु पराण सी प्यारु
छ,
हमारु रौंत्याळु उत्तराखण्ड,
श्रृंगार करा तन मन
सी,
होण न द्यवा ऊत्ताणदंड।
जगमोहन सिंह जयाड़ा
“जिज्ञासू”
13/11/2020