Wednesday, January 30, 2019

प्यार से कहती हूं....


 
एक औरत का चिल्लाना,

गधा ध्यान से सुन रहा था,

वो पति को कह रही थी,
कैसे गधे हो तुम?

चाय बेचने वाला,
प्रधानमंत्री बन गया,
बूटी बेचने वाला बाबा,
करोड़पति बन गया,
तुमसे तो वो अच्छे हैं,
कैसे गधे हो तुम?
 

पति प्यार से मुस्कराया,
मुझे गधा क्यों कह रही हो,
कोई गधा सुन लेगा तो,
उसकी बहन बन रही हो। 

गधा संवाद सुनकर, औरत के पास आया,
बोला, बहन आपका पति है इन्सान,
आपके लिए है भगवान,
आप गधा क्यों बोल रही थी?
खड़े हो गए मेरे कान।


औरत गधे पर चिल्लाई,
भाग जा यहां से,
इसी में है तेरी भलाई,
बहन कहते हुए मुझे,
तुझे शरम नहीं आई।


तुझ गधे की बहन,
मैं कैसे हो सकती हूं,
मैं तो प्यार से पति को,
गधा कहती हूं।



जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासू"
30/01/2019

Friday, January 25, 2019

अलकनन्दा....



जीवनदायिनी अलकनन्दा,
अल्कापुरी से आती है,
निर्मल है जल जिसका,
किनारों से टकाराती है।
चार प्रयाग में चार नदियां,
अलकनन्दा में समाती हैं,
हो जाती हैं अस्तित्वहीन,
अलकनन्दा का बहाव बढ़ाती हैं।
सागर मिलन की आस में,
अलकनन्दा आतुर हो जाती है,
पथ पर आते जो भी पत्थर,
ओट में उनसे बतियाती है।
कल-कल बहती पथ पर अपने
देवप्रयाग तक आती है,

भागीरथी से मिलन करके,
फिर गंगा कहलाती है....
जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासू"
25/01/25/01/2019


मलेेथा की कूल