Wednesday, February 27, 2013

"तुमारी खुद मा"


खुदेणु रयौं भौं कबरि,
जब जब याद मैकु आई,
आंसू भि निकळयन,
आँखौं बिटि मेरा,
ज्यू पराण ह्वै भारी ऊदास,
मन मा खुदेड़पन कू,
होंदु रै अहसास.....

देख्यां मनख्यौं की,
खुद भारी सतौन्दि,
बग्त बे बग्त भारी,
याद भि औन्दि,
तुम सनै भि,
औन्दि होलि हमारी,
याद करदु रयन,
कृपा होलि तुमारी....

मैं त भौत खुदेणु छौं,
"तुमारी खुद मा",
ऋतु मौळयार छयिं छ,
फयोंलि मैत अयिं छ...

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षति एवं ब्लॉग पर प्रकाशित,
27.2.2012
 

Tuesday, February 26, 2013

"क्या छैं तू कन्नि"


मेरा बेटा,
माँ पूछणि छ,
नौनु बोंनु
फेसबुक छौं पढ़णु,
माँ मैं ध्यान सी,
किलैकि अब हमारा,
बोर्ड का पेपर नजिक छन,
ब्यालि मैन,
फेसबुक खरीदण कू,
पैंसा नि मांगी था त्वैमु....

पढ़ पढ़ मेरा लाटा,
मैं त्वैकु,
क्वी कमि नि होण द्योलु,
पढण लिखण का खातिर....

फेसबुक का  दिवाना,
होयां छन छोरा छारा,
हमारा पाड़ मा,
घल्कैक भी,
बाच नि गाड़दा,
माँ बाप बोन्ना छन,
क्या ह्वै होलु,
कखि बाक्की मू जावा....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं ब्लॉग पर प्रकाशित
26.2.2013

"हे! ढुंगा फर न लिख"


मैन बोलि क्योकु,
मै त कवि छौं,
जरूर लिख्लु ,
वेन ब्वोलि,
ढुंगू ढुंगू ह्वोन्न्दु,
के काम कू....

मैन ब्वोलि, हे चुचा,
प्राईमरी स्कूल,
किमधार मा,
अपणा गौं का न्योड़ु,
मैन ढुंगा फर ही,
लिखणु पढ़णु सीखि,
जैंकु ब्वोल्दा छन स्लेट,
त्येरुजमानु कुछ और हिछ,
सैत त्वेन देखि भी नि ह्वोलि...

ढुंगा का गुण सुण,
तुमारा कूड़ा फर,
पित्रकुट्यौं फर,
देवतौं का मंदिर मा,
जख भी देख,
ढुंगा ही लग्यां छन....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं ब्लॉग पर प्रकाशित
26.2.2013

Monday, February 25, 2013

"भेळ मा भूत"

भेळ मा भूत खड़ु थौ भारी,

आग कू एक भड़कट्ट जग्युं थौ,

रात मा वैन किल्क्वार मारी,

डौर सी मेरा बुरा हाल ह्वेन,

दूर कखि स्याळ भी रवैन,

बात छ या मेरा बचपन की,

लंगट्यार लगैक हम छोरा छारा,

जाण लग्यां था,

जामणिखाळ का थौळ बिटि,

अपणा गौं बागी-नौसा,

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"

सर्वाधिकार सुरक्षति एवं ब्लॉग पर प्रकाशित

25.2.13 10.00 बजे रात्रि

 
 

 
 महिनु लेगी फागुन चेत कु

"थेगळया"




हमारा गौं कू,
जैकु नौं धरि थौ,
वैका दादा दादाजिन,
लाड प्यार मा...


उबरि जमानु थेगळया थौ,
झूट क्योकु बोन्न,
हमारा सुलार अर पैंट फर,
लग्यां रन्दा था थेगला,
सेण की खांतड़ि फर भि,
जमानु गरीबी कू थौ,
आज बतौंदु शर्मान्दा छन,
मेरा मुल्क का मनखि...


थेगळया आज ठाट मा छ,
वैका बाबाजिन,
घ्यू बेचि बेचिक,
स्कूल पढाई,
हर साल फर्स्ट डिवीज़न,
क्लास मा आई...


थेगळया आज
अफसर बणयुं छ,
पर अपणा गौं,
हर जाज काज मा,
सुख दुःख मा,
शामिल होन्दु छ,
मन सी आज भी,
"थेगळया" नि बदलि....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
25.2.2013












Sunday, February 24, 2013

"रैबारअयुं छ "


मेरा दगड़या कू,
मैकु रैबार अयुं छ,
त्वैकु कनुकै बतौं हे दिदा,
यख मौल्यार छयुं छ,
फयोंलि का दगड़ा,
अड़ेथु बणिक,
बौल्या बुरांश अयुं छ...

जगमोहन सिंह जयाड़ा,
कवि नाम "जिज्ञासु" मेरु,
मन मेरु पाड़ गयुं छ,
मेरा दगड़या कू,
मैकु रैबार अयुं छ....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं ब्लॉग पर प्रकाशित,
25.2.13
 Girish Badoni बहुत बढिया भैजी !!! यी यना खुदेड भाव मन ते डांडी- कांठी की तरफ लिज़ान्दा छन , पर गोनी- बान्दरु न यख रनु मुस्किल कैली ...तौ दडी कुकुरून न भी दगडी बनेक मनखि सनी यख बीटी भगोनुकु पुरु ताम - झाम कैली .

Surbeer Singh Jayara Bhut badiya kbita Che ghar ki yaad ma man udas hae jadu

  •  
  •  
  • Bhishma Kukreti बहुत बढिया वसंत प्रकृति वर्णन

Dimpal Mahara wah boht khoob jayara ji......umda









Saturday, February 23, 2013

"एक ढुंगु बणे देवा"


जब आदेश वैकु आलु,
दूत वैकु,
डोरड़ा फर बांधिक,
लसोड़िक ल्हिजालु,
बोललु ऊ,
बोल रे कवि,
बतौँ तेरु हिसाब,
फिर बतालु,
बणि जा तू एक ढुंगु,
तब मै बोललु,
मैकु उत्तराखंड कू,
एक ढुंगु बणे देवा....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
23.2.13



Jayprakash Panwar wah....amaging..

Dataram Chamoli सशक्त भावाभिव्क्ति

बलदाऊ गोस्वामी सम्मानित श्री जगमोहन जी अति सुन्दर रचना शुंभ-शुभकामनाऐं।

"मित्रों मेरी अनुभूति"


कह रहे थे मुझे वे शराबी,
मैंने आँखों से पी है,
पैंसा नहीं था जेब में,
उधार भी नहीं ली है,
मैं तो गुजर रहा था,
मधुशाला के सामने,
एक शराबी जोर से,
मैकु प्यार से भट्याया,
गौला भी लगाया,
दो पैग भी पिलाया,
प्यार से पिला रहा है,
उसके प्यार को देख,
मुझ जगमोहन सिंह जयाड़़ा,
कवि मन 'जिज्ञासु"" के मन में ,
प्यार का सैलाब आया,
बात है मेरे हिंडोलाखाळ की,
मेरी कल्पना में.......

जगमोहन सिंह जयाड़़ा 'जिज्ञासु" 23.2.13




उस पार न जाने क्या होगा,
मन में प्रश्न एक खड़ा है,
जीने की जंग वहां भी होगी,
यहाँ भी तो जंग लड़ा है,
संगी साथी वहां भी होंगे,
जाना तो अकेला होगा,
यहाँ भी एक मेला सा है,
वहां भी एक मेला होगा,
जगमोहन सिंह जयाड़़ा 'जिज्ञासु" 23.2.13


  • Pramod Singh Rawat nic line sar ji
  • Kundan Rawat मौसम को मौसम की बहारों ने लूटा,
    हमे कश्ती ने नहीं किनारों ने लूटा,
    आप तो डर गये मेरी एक ही कसम से,
    आपकी कसम देकर हमें तो हज़ारों ने लूटा
  • Ankit Bhatt Bhut khub guru jee aur rawat jee.
  • Kundan Rawat नई सी सुबह नया सा सवेरा,
    सूरज की किरण मे हवाओ का बसेरा,
    खुले आसमान मे सूरज का चेहरा,
    मुबारक हो आपको ये हसीन सवेरा. kundan singh
  • Sushil Pant Is paar hai meri madhushala,us paar milegi madhubala.
  • Kundan Rawat ये sms मेरे दोस्त के पास जाना , वो सो रहा हो तो शोर न मचाना
    जब वो जगे तो धीरे से मुस्कराना फिर मेरे दिल का हल बताना kundan singh
  • Kundan Rawat तू चाँद और मैं सितारा होता,
    आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
    लोग तुम्हे दूर से देखते,
    नज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता..kundan singh
  • Debesh Bahuguna acha hai bhaisahab.......
  • Arjun GC nice uncle ji..


रात अँधेरी जब हो जाये,
दिया तो जलाना होगा,
आशियाना प्यार का,
उजड़ भी जाये,
फिर से तो बसना होगा,
निर्माण जो करता है,
प्रकृति के जड़ नियम से,
वो जरूर बंधा होगा....... 
-जगमोहन सिंह जयाड़़ा "जिज्ञासु" 23.2.13


"बरसने दो"

बादलों को हर्षाने दो,
बूँद बूंद बरसाने दो,
न जाने कितने सालों बाद,
ऐसा मौसम आया है,
ठण्ड की सौगात लाया है,
पूछो पहाड़ों से,
हिमपात से खुश हुए,
मन जिनका हर्षाया है
जगमोहन सिंह जयाड़़ा 'जिज्ञासु" 23.2.13


मलेेथा की कूल