Wednesday, December 19, 2012

"प्यारी ब्वै"


जख भी होलि स्वर्ग मा,

स्वर्गवासी ब्वै,

जै दिन स्वर्ग सिधारि,

छक्किक रोयौं मन मा,

मन भौत उदास ह्वै

बचपन मा,

घुडौंन गोया लगैक,

कुजाणि कब हिटण लग्यौं,

तेरी ममता की छाया मा,

कुजाणि कब बड़ु होयौं,

नखरि भलि सदानि,

बार त्यौहार कौथिग फर,

अपणा हातुन खलाई ,

मन मारी अपणु,

खौरी भि भौत खाई

जब तक "प्यारी ब्वै",

यीं धरती मा,

डाळी कू सी छैल बणिक,

मेरा दगड़ी रै,

हँसी ख़ुशी जिंदगी बिति,

मन उदास नि ह्वै

अनुभूतिकर्ता-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"

सर्वाधिकार सुरक्षित एवं ब्लॉग पर प्रकाशित

19.12.12

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