Thursday, May 19, 2016

दया आई.....



देवभूमि का देव्तौं तैं,
उत्तराखण्ड का बणु मा,
भड़कीं आग देखिक,
किलैकि सब कुछ स्वाह,
निचंत होणु छ,
ऊंकी आज्ञा सी अब,
द्योरु बरखा बरखौणु छ.....

याद रलु द्वी हजार सोळा कू,
खरबग्नि निहोण्यां साल,
भंयकर आग लगि थै,
हमारा कुमाऊं गढ़वाल.....

विचार कन्न वाळि बात छ,
या आग कैन किलै लगाई?
तौं निर्दयी मनख्यौं तैं,
दया कतै किलै नि आई....

यीं आग सी जरुर,
कैकु फैदा ह्वै होलु,
चा क्वी अपणा मन सी,
मन की बात न बोलु.....

पहाड़ का जंगळ,
हमारी अनमोल धरोहर छन,
बिणास नि कन्नु बणु कू,
जख तक हो श्रृंगार कन्न....

मनखि छौं हम,
क्या हम्न कर्तब्य निभाई,
देवभूमि का देव्तौं तैं,
जळ्दा जंगळु फर दया आई.....

दिनांक 5.5.2016

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