तुमारी मुखड़ि डांग फर
लगलि,
निहोण्यां निखाण्यां तुम,
तुमारा गोरुन मेरा पुंगड़ा,
ऊजाड़ खयालि,
चब्बट्ट करयालि,
जबरि हम गोरु चरौण,
गौं का बण फुंड था जयां,
बचपन का बग्त,
आज भौत याद औंदा,
छन ऊ बचपन का दिन,
फिर बोडिन औळाणु करि,
जब हम घौर पौंछ्यौं,
ब्वे बाबुन भी बोलि,
नि खाण पैल्या तुम,
भग्तु का बाबान,
ऊ कंडाळिन सपोड़ि,
डंडा की मार,
हम फर भि पड़ि,
कख गैन आज ऊ दिन....
15.10.2013
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