Friday, August 18, 2017

बैख बिचारा......



जनानि की जी हजूरी,
बैखु की लाचारी,
जिंदगी भर समझौता,
जनानि बैखु फर भारी.....

तीन गुण की धनि जनानि,
बैखु फर छन भारी,
फंसि जांदा बैख बिचारा,
बैखु की लाचारी......

पैलु गुण जनान्यौं कु,
मुल मुल हैंसी जाणु,
बैख की मति मारिक,
हैंसी खेली खाणु......

दूसरु गुण झगड़ा कन्नु,
डरदा बैख बिचारा,
शर्म लाज की बजै सी,
ह्वे जान्दा किनारा......

तीसरु गुण रोवा पिट्टि,
बैख डरिक डरि जान्दा,
जनानि की यीं चाल मा,
बैख बिचारा फंसि जान्दा....

यूं तीन गुणु का बल फर,
बैख बिचारु फंसि जान्दु,
जू नि फंस्दु जिंदगी मा,
बेघर हि रै जान्दु......

11/8/2017

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