Friday, August 18, 2017

बसगाळ....



उत्तराखण्डै डांडी कांठ्यौं मा,
जब छै जान्दु बसगाळ,
मन कू मोर नाचि नाचिक,
खुशी ह्वेक मारदु फाळ.....

हरी भरी ह्वे जान्दिन,
कोदाड़ि सटेड़ी सार,
बौळ्या बणि रिटदि कुयेड़ि,
क्या खोज्दि हपार.....

सूखी धर्ति हरी ह्वे जान्दि,
जब बसगाळ्या बरखा बरखदि,
गौं की बेटी ब्वारि सब्बि,
पुंगड़्यौं मा धाण करदि.....

चौक मा चचेन्डी लग्दि,
काखड़्यौं की लबद्यारि,
ज्यु भरिक खान्दी छन,
गौं की बेटी ब्वारि.....

अतर गाड गदन्यौं मा,
होन्दु पाणी कू छछड़ाट,
डांड्यौं मा गाज्दु छ,
गदन्यौं कू सुंस्याट.....

घाटा बाटा बंद ह्वे जान्दा,
लगि जान्दु काळु बसगाळ,
आफत भी ऐ जान्दि,
हमारा प्यारा गढ़वाळ.......

होणि खाणी जब ह्वे जान्दि,
दूर ह्वे जान्दा सब जंजाळ,
अहसास करदन मनखि,
जिन्दगी मा ऐगि बसगाळ......

बिना बसगाळ कू,
कबरि पड़ि जान्दु अकाळ,
हमारा मुल्क पाड़ मा,
खुशहाली ल्हौन्दु बसगाळ....... 28/7/2017

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