ताली बजाई थाली बजाई,
घर घर दीप जलाए,
मुंह छिपाकर जी रहे हैं,
देखो, कैसे दिन आए ?
अपनो से, आज है दूरी,
दूर रहकर जीना होगा,
बच गया जो इस दौर में,
चौड़ा उसका सीना होगा।
बेकसूर हैं हम सभी,
मुंह छिपाकर जीना होगा,
बचते हुए जी रहे हैं,
जिंदगी को जीना होगा ।
रोजगार पर मार पड़ी है,
कैसे घर चलाना है,
जीना सीख लिया है सबने,
यही मंत्र पहचाना है।
वक्त ही ऐसा आया है,
ये वक्त बीत जाएगा,
जीत होगी मानव की,
मुंह नहीं छिपाएगा ।
जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
दिनांक 29/09/2020
कोरोना महामारी के कारण मुंह पर मास्क लगाकर जीवन चल रहा हैै सबका ।
(हिन्दी पखवाड़ा 14-29 सितम्बर, 2020 में प्रथम पुरुस्कार प्राप्त मेरी रचना)
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