Sunday, December 5, 2010

"पहाड़ की ऊँचाई"

प्रेरणा प्रदान करती है,
उसको लाँघ जाने की,
उससे ऊपर उठने की,
जो करते हैं प्रयास,
मन में कठिन डगर,
संकल्प अगर साथ हो,
मन में हो एक आस,
रंग लाता है प्रयास.

रही बात पार करने की,
सच में आसान नहीं होता,
जीवन के सच को,
सहज स्वीकार करना,
आसान नहीं होता.

जीत जाते हैं जीवन में जो,
उनके लिए "पहाड़ की ऊँचाई",
पार करके लाँघ जाना,
जीवन के सच को,
सहर्स स्वीकार कर जाना,
कठिन जीवन के भेद को,
बहादुरी से भेद जाना,
आसान लगता होगा,
जीवन में जीत जाने के बाद.
रचनाकर: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित, दिनांक: ६.१२.२०१०)
श्रीमती मंजरी कैल्खुरा जी की रचना पर रचित मेरी रचना
"जिस तरह पहाड की ऊचाई को,
पार करना इतना आसान नहीं होता,
उसी तरह जीवन के सच को,
स्वीकार करना भी आसान नहीं होता"

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