Tuesday, December 28, 2010

"अलविदा-२०१०"

कहते हैं अब हम ,
पूरा हो रहा काल,
इंतज़ार है सबको,
आएगा नयाँ साल.

कामना है मन में,
प्यार का पैगाम लाएगा,
साल-२०१० यादें अपनी,
छोड़कर चला जाएगा.

जनकवि "गिर्दा" जी का जाना,
उत्तराखंड साहित्य जगत में,
मायूसी का छा जाना,
बसगाळ-२०१० का,
देवभूमि उत्तराखंड में,
अपना रौद्र रूप दिखना,
पर्वतजनों को सताना,
इस रूप में याद रहेगा,
लेकिन! "अलविदा-२०१०".

रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
दिनांक: २८.१२.२०१०
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित)

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