Thursday, February 24, 2011

"जन्मभूमि"

कविमन मन मा आज किलै,
कुतग्याळि सी लगणि छन,
तेरी याद आज औणि छ,
तेरी गोद मा बित्याँ दिनु की,
मन मा बसिं याद,
आज भौत सतौणि छ.....

हम मनखी ह्वैक त्वैसी दूर,
बुरांश, फ्योंलि का बड़ा भाग छन,
मुल-मुल होला त्वैमु हैंसणा,
ऊदास होन्दु हमारू मयाळु मन.

जिंदगी ज्यू जिबाळ सी,
अयुं होलु त्वैमु बाळु बसंत,
कनु छुटि प्यारू साथ तेरु,
दूर परदेश मा रैबार न रंत.

खुद भी लगदी तेरी सब्यौं,
जू दूर देश त्वैसी छन,
जन्मभूमि छैं प्यारी हमारी,
ऊदास "जिज्ञासु" कू कवि मन.

रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित २३.२.२०११)

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