Tuesday, October 9, 2012

"उम्मीदों का उत्तराखण्ड"

जिसके सृजन में देखे थे,
सपने पहाड़ के लोगों ने,
गाँव, खेत और खलिहान की,
सतत खुशहालि के लिए,
लेकिन बारह वर्ष का,
पर्वतीय राज्य उत्तराखण्ड,
आज वहीँ खड़ा है,
सपने नहीं हुए पूरे.....
राज्य सृजन के बाद,
पलायन और तीव्र हुआ,
व्यथित मन से पर्वतजन,
पहाड़ से पलायन करते हुए,
तराई की ओर जा रहा है,
बिस्वा, नाली की चाह में,
अल्विदा! हे पहाड़,
कहता हुआ, सदा के लिए.....
लेकिन! नेताओं की सोच है,
राज्य ऊर्जा प्रदेश बन जाए,
आज भी इंतज़ार में पर्वतजन,
गाँव, खेत और खलिहान में,
खुशहालि कैसे आए?
भयभीत भी हो रहा है,
दिनों दिन आने वाली,
प्राकृतिक आपदाओं से,
आपदा प्रदेश न बन जाए.....
उम्मीद कायम रहनी चाहिए,
जिन्होंने अपना बलिदान देकर,
उत्तराखण्ड राज्य बनवाया,
उदय हुआ पर्वतीय राज्य का,
तब हर उत्तराखण्ड निवासी,
पहाड़ से दूर रहता प्रवासी,
हर्षित हुआ मन ही मन,
जन आन्दोलन रंग लाया,
जरूर खरा उतरेगा,
"उम्मीदों का उत्तराखण्ड",
जरूरत है उन्हें जगाने की,
जो सत्ता का सुख भोग रहे,
राज्य में सरकार बनाकर....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"

सर्वाधिकार सुरक्षित, "दस्तक" पत्रिका अगस्तमुनि, रुद्रप्रयाग के लिए रचित एवं प्रेषित
दिनांक: ९.१०.२०१२

 

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