Wednesday, October 31, 2012

"मेरा सब्बि दगड़्या"

दिल्ली प्रवास मा,
पहाड़ छोड़िक,
सदानि का खतिर,
अपणा नौना मु अयिं,
मेरा दगड़्या,
दयाल सिंह नेगी जी की,
पूज्य माताजिन,
मेरा पूछण फर,
बोड़ी जी, क्या गौं की,
याद भि औन्दि?
मैकु बताई,
अब नि औन्दि बेटा,
"मेरा सब्बि दगड़्या",
स्वर्ग मा चलिग्यन....

जिंदगी का,
यना पड़ाव मा,
क्या अहसास होन्दु होलु,
या बिंगण वाळी बात छ,
बोडी  जी की बात सी,
उदासी कू अहसास ह्वै,
पर बोडी,
उदास निछ,
देवता पूजा मा,
जब गौं जौलु,
देखलु अपणु गौं मुल्क,
बोडी जी का मन मा,
आज या बात छ......

रचना: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित ३१.१०.१२

  





     

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