Monday, March 18, 2013

कवि दिल कैसा होता है?



किसी ने पूछा,
कवि नजर से,
मैंने कहा,
आल इन वन,
पागल भी, घायल भी,
टूटता है तो दिखता नहीं,
सबकी संवेदनाओं को,
पत्थर और पहाड़ की भी,
आत्मसात करता है,
कवि की कलम को,
कविता के रूप में,
व्यक्त करने को कहता है,
माँ सरस्वती के आशीर्वाद से,
मुझ जैसा पागल,
जिज्ञांसा के वशीभूत हो,
प्रिय कविताओं की चाहत में,
दिल से सृजन करता है।

-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
सर्वाधिकार सुरक्षित अवं प्रकाशित
18.3.2013














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