टक्क लगैक,
एक दिन,
देखण लगिं थै वा,
मैंन भि देखि झळकैक,
मुल हैंसि वा,
मैं भि हैंस्यौं,
ज्यु पराण हमारु,
बथौं बणिक तब,
ऊड़दु गै ऊंचि डांड्यौं मा,
कुळैं की डाळी झूलि तब,
बोली वींकु वींन,
तू छैं हे मेरी दगड़्या,
मैन तेरा मन की बात,
हे चुचि मैंन बिंग्यालि,
क्या सोचणि छैं,
धार मा बैठि.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
सर्वाधिकार सुरक्षति एवं ब्लाग पर प्रकाशित
03.01.2014
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