Thursday, January 16, 2014

ब्‍यो बरात मा.......


हमारा पहाड़, छयिं छ दारु,

रंगमता ह्वैक, मैमान भी बोल्‍दा,

धन धन भाग हमारु.....



बर ब्‍यौला का बुबाजी,

लग्‍यां दारु का जुगाड़ मा,

यू नयुं रिवाज छैगि,

आज हमारा पहाड़ मा....



सूर्य अस्‍त पहाड़ मस्‍त,

आज सार्थक ह्वैगि,

हमारा पहाड़ कू, हरेक मनखि,

दारु की चपेट मा ऐगि....



होणी खाणी का लक्षण,

यी निछन दिखेणा,

बैंड अर डीजे की धुन फर,

सब्‍बि छन बौळेणा....



किस्‍सा फर हात कोचिक,

गौं का मनखि, खुश छन होणा,

काम काज मा, सहयोग नि करदा,

ध्‍याड़ी फर ल्‍हयां मनखि,

खाणौं बणौणा, भांडा मठौणा

ब्‍यो बरात मा.....

 

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु

सर्वाधिकार सुरक्षित एवं ब्‍लाग पर प्रकाशित

6.12.13

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