Thursday, January 16, 2014

देव्‍तौं का धाम मा....


यनु किलै ह्वै,
भागीरथी, मंदाकनिन,
अपणा बग्‍दा बाटा का,
न्‍यौड़ु धेारा फुंड,
मोळ माटु करि,
विकराळ रुप धारी,
सब कुछ बगै,
होन्‍दु खान्‍दु मनखि,
बेसहारा ह्वैक,
सब कुछ गंवैक,
गम का आंसू का घूटी,
बुकरा बुकरी रोन्‍दु,
भारी ऊदास ह्वै.....
दिन आला जाला,
दिल मा लग्‍यां घौ,
मेरा मुल्‍क का मनखि,
सैत भूली जाला,
पर सोचण वाळी बात,
यछ मुल्‍की मनख्‍यौं,
पहाड़ खाली होणु,
वख रयां कुछ,
जिंदगी बितौणा मनखि,
प्रकृति की मार सी डरी,
परदेसु जथैं जाला,
किलैकि वै तैं,
देव्‍तौं का धाम मा,
पैदा होयां हालात,
दिन रात डराला.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
 
सर्वाधिकार सुरक्षति एवं ब्‍लाग पर प्रकाशित
 
3.12.2013
 

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