Tuesday, November 17, 2015

हमारु पाड़........


ढुंगा डौळौंन बण्‍युं छ,
आगास तक ऊंचा ऊठिक,
सीना अपणु ताणिक,
गर्व सी तण्‍युं छ.....

रैबार छ वेकु हमतैं,
मेरी तरौं ऊब ऊठा,
हिटदु रवा ठण्‍डु मठु,
नि रोकणु अपणा खुट्टा....

पाड़ी आज प्रगति फर छन,
यनु लग्‍दु पाड़्यौंन,
 पाड़ की बात मन सी माणी,
होणि छ तौंकी खाणी बाणी....
दु:ख एक बात कू छ,
पाड़्यौंन पाड़ कू रैबार,
मन मा धारण करिक,
पाड़ की कीमत नि पछाणि,
पाड़ त्‍यागि घर कूड़ी छोड़ि,
किलै प्‍यारा पाड़ सी मुक्‍क मोड़ी...


पाड़ विशाल हृदय छ,
जल्‍मभूमि की बजै सी,
हमारु ज्‍यु पराण सी प्‍यारु,
सच बोला त यीं दुनियां मा न्‍यारु....

5.11.2015

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