Monday, February 27, 2012

"यथगा भलु नि छौं मैं"

जनु सोचण्या होल्या तुम,
क्या बतौण?
या बग्त की बात छ,
भलु बुरू हे चुचौं,
हमारा तुमारा हाथ छ....

दुनियां का दिनु देखिक,
मैं यनु होयुं छौं,
पैलि भारी भलु थौ,
हे! सच मा तुमारा सौं....

यीं दुनियां मा,
देखा, गोरा मनखी,
बल मन का काळा,
लोभ लालच अति भारी,
बण्यां छन धन जग्वाळा,
तौं जनु होण पड़दु,
नितर, जिंदगी जीणु हराम,
करि नि सकदा क्वी काम,
क्या कन्न हे श्रीराम,
कारण यु हिछ,
"यथगा भलु नि छौं मैं"......
कवि: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित)
दिनांक: २८.२.२०१२
www.pahariforum.net

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