Tuesday, March 6, 2012

"हमारा प्यारा मुल्क"

"हमारा प्यारा मुल्क"
(जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु")
बसंत की बयार बगणि,
फूल्याँ होला पय्याँ आरू,
फ्योंलि बुरांश का रंग मा,
हे! रंग्यु होलु मुल्क हमारू,
कख कख छैं आप लोग?
अपणा मुल्क अजग्याल,
गयुं होलु चंचल मन तुमारु,
होलि घुघती बासण लगिं,
सजिं होलि देवभूमि हपार,
लद कद होलि फूलिं डाळी,
जख फुंड ग्यौं जौ की सार,
क्या बतौण मेरा मुल्क,
बसंत की बयार बगणि,
जन्मभूमि हमारी होलि,
ब्योलि का समान लगणि,
कसक पैदा होणि छ,
कवि "जिज्ञासु" का मन मा,
चलि जौं वे प्यारा मुल्क,
हेरलु जख बौळ्या बसंत मैकु,
डाळ्यौं पिछ्वाड़ि बिटि सुरक,
हर साल औन्दु छ बसंत,
हे "हमारा प्यारा मुल्क"....
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित)
दिनांक: ६.३.२०१२)
(बसंत-२०१२ पर मेरी गढ़वाली कविता)

1 comment:

  1. मात्रभूमि को समर्पित एक भावपूर्ण कविता. इस कविता से मिलती जुलती नेगी जी का हृदयस्पर्शी गीत आपको मेल से भेज रहा हूँ. आपने सुना ही होगा.
    होली की अनेकानेक शुभकामनाएं.

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