Monday, June 4, 2012

जागो हे पर्वतजन!

जागो हे पर्वतजन!
उत्तराखंड के जलते जंगल,
देवभूमि में घोर अमंगल,
कवि "जिज्ञासु" को डर है,
कहीं सूख न जाए,
पवित्र नदियों का जल,
बहुत पछतायेगा फिर,
पहाड़ का पर्वतजन,
जंगलों की रक्षा के लिए,
जागो हे पर्वतजन.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
३.६.२०१२

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