Tuesday, June 5, 2012

"पर्यावरण दिवस" (पर्यावरण की पुकार सुनो)


5, जून-2012.........

वर्ष में एक बार,
इंसान को,
याद दिलाने वाला दिन..
पर्यावरण,
जिसकी क्षत्रछाया  में,
जीता है हर प्राणी,
पाता है प्रकृति से,
भोजन,हवा और पानी,
फिर क्योँ करता है,
पर्यावरण को प्रदूषित?
हमारे देश में परम्परा है,
वृक्ष, जल और जमीन की,
पूजा करने की,
फिर क्यों कट गए?
आग में जल गए,
जीवनदायी जंगल,
क्यों प्रदूषित हो गई?
पवित्र गंगा, यमुना,
और अन्य नदियाँ,
क्यों कट गई, बह गई?
पवित्र मिट्टी,
रौद्र रूप धारण कर गई,
धरती हमारी,
कहता है कवि "जिज्ञासु",
पर्यावरण की पुकार सुनो....
रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा  "जिज्ञासु"
(सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित)

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