Wednesday, June 5, 2013

अपणु मुल्‍क अपणु हि होन्‍दु.....


मुंड मा तुमारी टोपलि धरिं,
जोंखि छन बल काळी करिं,
बुढेन्‍दा की स्‍याणि,
सुणा जीजा जी,
होण लग्‍यां तुम,
भारी मिजाजी.......

चला वे पहाड़ जौला,
कोदु झंगोरु भि खौला,
पहाड़ की जिन्‍दगी भारी भलि,
सुखि दुखि वख जन भि रौला,
अपणु मुल्‍क अपणु हि होन्‍दु.....

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु,
सर्वाधिकार सुरक्षित एवं प्रकाशित
6.6.13

 

No comments:

Post a Comment

मलेेथा की कूल