उत्तराखण्ड की,
धरती बोन्नि छ,
ह्वैग्यन मेरा कुहाल,
नि लेन्दा जल्म तुम,
मेरी सजीली गोद मा,
नि होन्दा मेरा यना हाल,
निराशेक बणि छ बिकराळ,
बांदर सुगंर कन्ना छन राज,
बांजी पुंगड़ि टूट्यां कूड़ा,
यू हि रैग्यन अब यख,
बंजेणु छ कुमाऊं गढ़वाळ,
कुछ त सोचा,
हे मेरा लाल.....
ह्वैग्यन मेरा कुहाल,
नि लेन्दा जल्म तुम,
मेरी सजीली गोद मा,
नि होन्दा मेरा यना हाल,
निराशेक बणि छ बिकराळ,
बांदर सुगंर कन्ना छन राज,
बांजी पुंगड़ि टूट्यां कूड़ा,
यू हि रैग्यन अब यख,
बंजेणु छ कुमाऊं गढ़वाळ,
कुछ त सोचा,
हे मेरा लाल.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
रचना स्वरचित एवं ब्लाग पर प्रकाशित
दिनांक 11.11.14
रचना स्वरचित एवं ब्लाग पर प्रकाशित
दिनांक 11.11.14
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