Thursday, January 29, 2015

द्वी दिन की जिंदगी......

सच माणा न माणा,
सच छ दिदौं,
लग्‍दु यनु सच हिछ,
औन्‍दु मनखि जान्‍दु भी,
खौरि का दिन बितौन्‍दु मनखि,
कनि असंद औन्‍दि छ,
या जिंदगी हमारी,
हैंसौन्‍दि रुऔन्‍दि छ.....
हैंसि हैंसि जिंदगी,
अपणि जीवा,
यांहि मा रंगत भारी छ,
सब कुछ हात हमारा दिदौं,
जिंदगी या प्‍यारी हमारी छ.....
तैं बुरांस की जिंदगी देखिक,
सबक हमतैं लिन्‍यु चैन्‍दु,
ऋतु मौळ्यार मा खिल्‍दु बिचारु,
दुख वेका मन मा भी होला,
हैंस्‍दु छ अर हैंसौंन्‍दु......
भला बुरा कू ख्‍याल रखा,
परमपिता कू ध्‍यान करा,
माता पिता गुरु की सेवा,
जौंका आशीर्वाद सी मिल्‍दा,
द्वी दिन की जिंदगी मा हमतैं,
आशीर्वाद रुपी मेवा.....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
मेरी कविता का द्वार आपका स्‍वागत मा ऊगाड़ा छन, कविता मेरी छ, यींकु रंग रुप कू आनंद लेवा, कनि लगि मन की बात लिखा, उत्‍साहवर्धन का खातिर।
रचना स्‍वरचित एवं ब्‍लाग पर प्रकाशित
दिनांक 8.1.15 समय 10 बजि सुबेर

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