Tuesday, July 11, 2017

मन की बात बतौणा....



मंग्तु मोळुन माटु खैंडि,
घसण लग्यां खल्याण हमारु,
हे! चुचौं बुरी बितिगी हम फर,
ब्वना, ल्हवा दौं थोड़ी सी दारु। 

कच्ची पक्की जन भी हो,
भारी थौक लगिगी,
मंग्तु मोळु तैं बोन्न लग्युं,
प्वटगि मा आग लगिगी। 

तौं फर भारी दया सी आई,
छक्कि छक्किक पिलाई,
तब बौळेन मंग्तु मोळु,
तमासु तौंन लगाई। 

तीन पराणि यी उत्तराखंडी,
गौं मा मौज मनौणा,
दारु बिगर रै नि सक्दा,
मन की बात बतौणा। 

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू,
दिनांक 5/1/2017, रचना संख्या-1045

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