Wednesday, July 12, 2017

क्या ह्वोलु पाड़ कू?



जौन क्वोदु झंगोरु खाई,
पुंगड़्यौं मा हौळ लगाई,
ल्हेन घास का गडोळा,
स्कूल मा पढ़ण गैन,
कांधि मा बोक्यन झोळा,
बंठौं फर पाणी सारी,
जिंदगी थै भौत प्यारी,
पढ़ै लिखै पूरी करि,  
एक दिन यनु आई,
खाण कमौण परदेस गैन,
पाड़ जुग्ता तब नि रैन....

असौंगि जिन्दगी पाड़ की,
माछा की तरौं छूटि,
रमिग्यन परदेस मा,
पाड़ सी रिस्ता टूटि,
आज तौंका प्यारा गौं,
बंजेग्यन तुमारा सौं,
अब क्या ह्वोलु पाड़ कू?
हाल द्येखि पाड़ का,
आंखौं मा आंसू औन्दा,
बित्यां दिन पाड़ मा,
आंखौ मा अंसदारी ल्हौन्दा....

पाड़ जुगराजि रै,
क्वी न क्वी त्वेमुं आला,
उत्तराखण्ड की धर्ति मा,
चार चांद भी लगाला,
क्वी त पोंज्लु त्येरा आंसू,
जौंन प्यारु पाड़ त्यागि,
रोला अर पछताला,
पाड़ त्वेसि प्यार छ,
मन मा भाव ऐ जान्दु,
क्या ह्वोलु पाड़ कू?  

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
13/7/2017

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