Friday, July 14, 2017

म्येरी जिन्दगी.....



जैंकी दुन्यां मा भारी हाम ह्वे,
जब कैका बाना मैं गम मा डूब्यौं,
दर्द्याळि ह्वे जिन्दगी म्येरी,
बग्त का हात मैं मजबूर ह्वयौं.....

अपणु बणौणु जै तैं चाही,
सबसि पैलि ऊ हि मैसी दूर ह्वेन,
बिछड़्यन जू दगड़्या जिन्दगी मा,
दुबारा ऊंका दर्शन नि ह्वेन......

चन्न लगिं जिन्दगी म्येरी,
मन अपणु बुथ्यौणु छौं,
गेड़ दु:ख दर्द की समाळि,
जिन्दगी का बाटा हिटणु छौं.....

जथ्गा चाही जिन्दगी मा,
वे सी ज्यादा द्येणु भगवान,
अहसास म्येरी जिन्दगी कू,
दूर मैसी छ अभिमान......

हेर फेर जिन्दगी मा,
सदानि मैसी दूर हि रैन,
जाणी बूझि जिन्दगी मा,
गोरु कैका नि फरकैन....

चल्दु रा तू जिन्दगी म्येरी,
अग्वाड़ि भ्येळ पाखा भी आला,
दगड़्यौं कू भौत प्यार पाई,
मन मा सदानि बस्यां रला.....

जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
दिनांक 14/7/2017

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