Thursday, January 12, 2023

मेरा नहीं है दोष....

 


मित्र हमारे कह रहे थे,

चलो जामणीखाळ,

पीने का मन करे,

ठेका हिंडोळाखाळ।

 

मित्र की बात सुनकर,

मन हुआ बेहाल,

बहुत दिनों से पी नहीं,

मित्र ने चल दी चाल।

 

मित्र बोला बैठो भाई,

चलते हैं हिंडोळाखाळ,

जी भरकर आज पीएगें,

ये जीवन है जंजाळ।

 

मोटर साईकिल उसने रोकी,

आया हिंडोळाखाळ,

ठेके पर ले गया,

तच गया फिर कपाळ।

 

फिर तो क्या था,

पीते पीते हो गए बेहोश

मित्र मुझे कहना लगा,

मेरा नहीं हैं दोष।

 

जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू

कबलाट-1886

12/01/2023

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