आज कराह रहा है,
कर रहा करुणा पुकार,
हे! मानव तूने किया,
कैसा अत्याचार?
नृसिंह भगवान की बायीं भुजा,
जब टूट जाएगी,
भविष्य वाणी की गई थी,
भंयकर आपदा आएगी।
भविष्य वाणी सच हुई,
हो गई है शुरुआत,
दरक रहा जोशीमठ,
वर्तमान की है बात।
घर से बेघर हो गए,
जिनका नहीं कसूर,
योजनाकारों की करतूत नें,
कर दिया सबको मजबूर।
सोयी सुंदरी सामनें,
देख रही वर्तमान,
हाथी पर्वत मस्त है,
संकट में नृसिंह भगवान।
अपना उत्तराखण्ड बन गया,
आज आपदा प्रदेश,
दरक रहा है जोशीमठ,
देखो, ब्रह्मा, विष्णु और महेश।
जगमोहन सिंह जयाड़ा “जिज्ञासू”
कबलाट-1887
13/01/2023
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