एक कवि की पत्नी,
उसको बहुत सताती थी,
बात बात पर झगड़ा कर,
मायके चली जाती थी।
तंग आकर कवि ने,
पत्नी पर कविता लिख
डाली,
प्रिय पत्नी दुखी हूं,
तुमसे भलि है साली।
उसकी प्यारी सूरत देख,
मन मचल जाता है,
सात फेरे फिरे तुम संग,
यही ख्याल आता है।
संवेदना रखती है,
हाल मेरा पूछती है,
मदहोश होकर,
प्यार से घूरती है।
रहम करो मुझ पर,
पत्नी धर्म निभाओ,
तुम मायके से,
तुरंत लौट आओ।
ज्यादा न सताओ,
बेदर्द हो जाऊंगा,
तुम नहीं आओगी तो,
दूसरा व्याह रचाऊंगा।
पत्नी का मायके से,
तब फोन आया,
लौट रही हूं प्रियतम,
प्यार से बताया।
कवि की जिंदगी में,
तब वसंत छा गया,
बहने लगी प्यार की गंगा,
“पत्नी का प्यार” पा गया।
29/12/2022
No comments:
Post a Comment