Thursday, January 13, 2011

"आँखों से आंसू"

करूणा में निकलते हैं,
जब प्याज काटो,
तब भी निकलते हैं,
लेकिन!
आजकल निकल रहे हैं,
महंगाई के कारण.

महंगा हुआ प्याज,
खाने का अनाज,
घर का चूल्हा कैसे जले?
सोच रही गृहणियाँ आज.

कौन लगाएगा लगाम,
बढ़ रही है महंगाई,
बेदर्द हो गए,
लगाम लगाने वाले,
कर रहे बेरूखाई.

हास्य कवि शर्मा जी,
कह रहे हैं,
प्याज खरीदोगे ही नहीं,
तो कैसे निकलेंगे आंसू.
रचनाकार: जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
स्वरचित(१५.१.२०११)
(सर्वाधिकार सुरक्षित, प्रकाश हेतु अनुमति लेना अनिवार्य है)

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